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प्रोफेशन बोझ ना बन जाए, इसलिए काम वही करें जो आपको आनंद दे - रजनीकांत

  • रजनीकांत अपनी नई फिल्म ‘जेलर’ के लिए चर्चा में हैं। सुपरस्टार से जानिये उनके सफर और सफलता के बारे में...

अभिनय के सफर की कहानी बहुत लंबी है, लेकिन मैं आपको छोटी करके बताता हूं। कर्नाटक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में सालाना होने वाले जश्न में एक नाटक मैंने किया था। मैं एनटीआर का फैन था, तो मैंने ‘दुर्योधन’ का नाटक किया। मैं नकल करने में उस्ताद था। स्टेज पर भी एनटीआर को हूबहू पेश किया। राजबहादुर नाम के साथी ड्राइवर ने मुझे बोला कि मैं तो फिल्म इंडस्ट्री के लिए बना हूं, यहां क्या कर रहा हूं। उसकी सलाह थी कि मैं चेन्नई फिल्म इंस्टिट्यूट जाऊं और फिल्म के लिए तैयारी करूं। मेरे भाई सत्यनारायणा राव ने भी मेरी आर्थिक रूप से सहायता की। मैंने फिल्म इंस्टिट्यूट जॉइन किया, जहां मेरी मुलाकात फिल्मकार के. बालाचंदर से हुई, जिन्होंने मुझे पहला मौका दिया। इसके बाद की कहानी तो आप सभी जानते हैं।
शुरुआत में मैं शिवाजी गणेशन की नकल करता था, कैमरे के सामने उनके जैसा करने की कोशिश करता था। बालाचंदर ने मुझे बदला। उन्होंने मुझसे कहा कि शिवाजी गणेशन की नकल क्यों करना, वो तो खुद इस इंडस्ट्री में मौजूद हैं। उन्होंने मुझमें तेजी की खोज की। मैं हर काम बेहद तेजी से करता था, एक्टिंग भी। उन्होंने कहा यह मेरी मौलिकता है, इसे बनाए रखो। यही तुम्हारी स्टाइल है। ऐसे मेरी स्टाइल का जन्म हुआ। वैसे मैं बता दूं कि मशहूर ‘सिगरेट फ्लिप’ मूलत: मेरी स्टाइल नहीं थी। शत्रुघ्न सिन्हा ने इसे पहली बार एक हिन्दी फिल्म में किया था, मैंने तो इसमें बस मामूली सुधार किया। इसमें परफेक्शन के लिए मैंने हजारों बार कोशिश की थी।
एक्टिंग को मैंने जिंदा रहने के लिए अपनाया था। जब मेरी मौलिक आवश्यकताएं पूरी हो गईं, तो मैं अपने काम का आनंद लेने लगा। यह मेरे लिए भी मनोरंजक रहा है। मैंने कभी भी अपने काम को प्रोफेशन की तरह नहीं लिया। अगर मैं इसे प्रोफेशन की तरह लेता तो यह मेरे लिए बोझ बन जाता। अब यह खेल की तरह है, जो आपको रिलैक्स करता है। ऐसे ही मुझे एनर्जी मिलती है, यही सोच मुझे ताकत देती है।
एक बात जरूर है कि बस कंडक्टर से लेकर सुपरस्टार तक के सफर के लिए मैं ईश्वर का शुक्रगुजार हमेशा रहता हूं। मैंने जितनी भी तकलीफें उठाई हैं, जो भी दुख देखे हैं... मैं मानता हूं वो सब जिंदगी का यह सुख देखने के लिए ही थे। वो सारी तकलीफें नहीं होतीं तो मैं शायद यह जिंदगी ऐसे नहीं देख पाता। मैंने दिक्कतें महसूस की हैं, शायद तभी मैं इस सफलता का आनंद ले पा रहा हूं।
सेहत आपके लिए सर्वप्रथम होना चाहिए
यह जरूरी है कि जब आप दुनिया से विदा हों, बिना किसी बीमारी के हों। आपकी बीमारी दूसरों की परेशानी हो जाती है। मैं मानता हूं कि सेहत ही इंसान के लिए सर्वप्रथम है। वो सेहतमंद रहेगा तो बिना अस्पताल जाए दुनिया से विदा हो पाएगा। जिंदगी के सार में मैंने पाया है कि खुशी और शांति स्थायी नहीं हैँ। मैंने सब देखा... पैसा, शोहरत, नाम, राजनीति... लेकिन जिंदगी में खुशी और शांति दस प्रतिशत से ज्यादा नहीं है।
(विभिन्न इंटरव्यूज़ में सुपरस्टार रजनीकांत)

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