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होलकरकालीन गणेशोत्सव160 साल की हुई परंपरा

 


मैं उन भगवान गजानन की वंदना करता हूं, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं, सुवर्ण तथा सूर्य के समान दैदीप्यमान कान्ति से चमक रहे हैं, सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसन पर विराजमान हैं।

होलकरकालीन गणेशोत्सव

  • पहले दिन - स्थापना और भजन
  • दूसरे दिन - भजन
  • तीसरे दिन - गणपति अथर्वशीर्ष
  • चौथे दिन - गणपति अथर्वशीर्ष
  • पांचवें दिन - विसर्जन

॥ नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं। गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥

इंदौर| मंगलवार को घर-घर गणेश जी की स्थापना के साथ ही 10 दिनी गणेशोत्सव शुरू हो गया। हर बार की तरह इस बार भी होलकरकालीन गणेश प्रतिमा को परंपरा के साथ स्थापित किया गया। परंपरा का यह 160वां वर्ष है।

श्रीमंत सरदार उदयसिंह राव होलकर ने बताया आड़ा बाजार हवेली से पालकी यात्रा निकलकर जूनी इंदौर ले गए। वहां खरगोणकर परिवार के यहां से मिट्‌टी से निर्मित गणेश प्रतिमा ली गई। फिर पालकी में गणेश जी को विराजित कर राजबाड़ा पर देवी अहिल्या की परिक्रमा कर प्रतिमा को हवेली में स्थापित किया गया।

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