अगले सप्ताह मंगलवार, 19 सितंबर से गणेश उत्सव की शुरुआत हो रही है। इस साल पंचांग भेद की वजह से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी दो दिन रहेगी। 18 सितंबर को भी गणेश चतुर्थी व्रत रहेगा, लेकिन गणेश उत्सव की शुरुआत 19 तारीख से होगी। दस दिवसीय गणेश उत्सव 28 सितंबर तक रहेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस साल मंगलवार से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। गणेश जी को मंगलमूर्ति कहा जाता है, इस कारण मंगलवार और गणेश चतुर्थी का योग बहुत ही शुभ रहेगा। इस दिन रवि योग, स्वाती और विशाखा नक्षत्र भी रहेगा। ये पूजा-पाठ के नजरिए से श्रेष्ठ योग रहेगा।
19 सितंबर को ही किया जाएगा ऋषि पंचमी का व्रत
19 सितंबर की सुबह 10.28 बजे तक भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी रहेगी, इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो कि अगले दिन यानी 20 सितंबर की सुबह 10.22 बजे तक रहेगी। पं. शर्मा के मुताबिक 19 सितंबर को ही ऋषि पंचमी का व्रत किया जा श्रेष्ठ रहेगा, क्योंकि 19 को पूरे दिन ये तिथि रहेगी, जबकि 20 की सुबह 10.22 ये तिथि खत्म हो जाएगी।
मिट्ठी की गणेश प्रतिमा करें स्थापित
शास्त्रों में मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। मिट्टी से बनी प्रतिमा में पंच तत्व रहते हैं। मिट्टी यानी पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश, इन पांचों तत्वों से प्रतिमा बनती है और इन्हीं पांचों तत्वों से हमारा शरीर भी बना है। इसलिए गणेश उत्सव में पंच तत्वों से बनी गणेश प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। ये प्रतिमाएं आसानी से पानी में घुल जाती हैं, जबकि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमाएं लंबे समय तक पानी में घुलती नहीं है, जिससे जल प्रदूषित होता है। मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा पर्यावरण के लिए भी श्रेष्ठ रहती है।
गणेश प्रतिमा बनाने के लिए किसी नदी या तालाब या किसी अन्य साफ-सुथरी जगह की मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। ध्यान रखें मिट्टी में कंकड़-पत्थर, पेड़-पौधे की जड़ें या घास नहीं होनी चाहिए।
ऐसे कर सकते हैं गणेश जी की सरल पूजा
अगर कोई व्यक्ति गणेश पूजा की विधि नहीं जानता है तो वह यहां बताई जा रही आसान स्टेप्स में भी पूजा कर सकता है।
गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान को जल चढ़ाएं। पंचामृत चढ़ाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। दूर्वा अर्पित करें। आम के पत्ते, नारियल से कलश सजाएं। कुमकुम, चंदन से तिलक करें। मोदक, लड्डू और मौसमी फलों का भोग लगाएं।
धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप करें। अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। इस तरह भगवान की सरल पूजा की जा सकती है। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
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