इंदौर के छत्रीबाग स्थित रामद्वारा में रामस्नेही संप्रदाय के मूल आचार्य एवं जन्मदाता स्वामी रामचरण महाराज का 272वां दीक्षा दिवस समारोह मनाया गया। इस मौके पर सैकड़ों दीपों से महाआरती की गई। बड़ी संख्या में भक्तगण शामिल हुए।
अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के मूल आचार्य एवं जन्मदाता महाप्रभु स्वामी रामचरण महाराज का 272वां दीक्षा दिवस समारोह छत्रीबाग रामद्वारे में चल रहे आत्मनिर्भर साधना चातुर्मास कार्यक्रम के दौरान मनाया। देश के कई प्रांतों से सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। शुरू में अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के वर्तमान में 15वें आचार्य रामदयाल महाराज ने नवधा भक्ति के सात दिवसीय कार्यक्रम के तहत साख्य भक्ति की विवेचना करते हुए कृष्ण सुदामा की मित्रता एवं दृष्टांत का अंति सुंदर मार्मिक विवेचन किया। रामद्वारा में मौजूद श्रद्धालु अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक पाए। लगातार 2 घंटे के इस वृतांत को भक्तों ने सुना।
स्वामी रामदयाल महाराज ने कहा - सखा भक्ति अनुपम है अनूठी है,परमात्मा से अच्छा कोई दोस्त नहीं है। मित्र वहीं जो मुसीबत में काम आए। कृष्ण-सुदामा की मित्रता अमर है, सबसे बड़ा निर्धन वहीं है जिसके पास भगवन की मित्रता नहीं है। परमात्मा प्रत्यक्ष कुछ नहीं देते, अप्रत्यक्ष में निहाल कर देते है। भगवान श्री कृष्ण ने द्वारका के समकक्ष ही अपने मित्र सुदामा को सुदामापुरी का राज्य दे दिया। महाराज ने राम सुग्रीव, कृष्ण अर्जुन आदि की मित्रता एवं शाखा भाव पर सख्य भाव भक्ति को समझाया। सुमिरन भक्ति से मन को ईश्वर में साकार निराकार में मन लगाना और गुरु भक्ति पद भक्ति गुरु चरणों में मन लगाना l जो दास भक्ति करेंगे वो भगवान के अनूठे कृपा पात्र बना जाएंगे। महाराज की अगवानी देवेंद्र मुछाल, रामनिवास मोड़, हेमंत काकानी, मुकेश कचोलिया, योगेश सोनी, लक्ष्मी कुमार मुछाल, आर.डी.फरक्या, दिनेश धनोतिया, आशीष सोनी ने की।
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