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सर्वे में खुलासा:विस-3 में आबादी के आधे वोटर भी नहीं बचे, घनी बस्तियों, बाजारों से शिफ्ट हुए लोग, जिले का औसत 61.97%, चाहिए 64%

  • सबसे ज्यादा ईपी रेशो राऊ में 69.03 प्रतिशत
  • प्रदेश का औसत 62.5 प्रतिशत

प्रदेश में कोिवड के बाद लोगों ने घनी बस्तियों से खुले रहवासी क्षेत्रों या टाउनशिप की ओर रुख कर लिया। इससे विधानसभा क्षेत्रों में आबादी के अनुपात में मतदाताओं के संख्या में बड़ा बदलाव आया है। कमर्शियल सेक्टर बढ़ने से बाजारों में रहने वाले लोग भी शिफ्ट हुए हैं। यह खुलासा हुआ है जिला प्रशासन के उस डाटा से जो उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग के सामने प्रस्तुत किया है।

इंदौर का औसत ईपी रेशो (जनसंख्या की तुलना में मतदाता) 61.97 प्रतिशत है। मध्य क्षेत्र में आने वाले विधासभा क्रमांक 3 में औसत जनसंख्या से आधे वोटर भी नहीं हैं। यहां का ईपी रेशो 46.82% है, वहीं क्षेत्र 4 का 52.70%। सबसे ज्यादा ईपी रेशो राऊ विधानसभा में 69.03% है। जिले का ईपी रेशो 61.97% और प्रदेश का 62.5% है। एक्सपर्ट की मानें तो 64 प्रतिशत तक ईपी रेशो होना चाहिए।

अब आगे क्या : प्रचार से वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास

  • प्रशासन को उम्मीद है कि 1.20 लाख नए मतदाता जुड़ेंगे, उससे यह आंकड़ा बढ़ेगा।
  • ग्रामीण क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत 78 से 80 प्रतिशत तक है वहीं शहरी क्षेत्र में यह मात्र 64 से 69 प्रतिशत तक है।
  • स्वीप एक्टिविटी में स्मार्ट सिटी के माध्यम से ऐसे वार्ड भी तलाशे हैं, जहां मतदान 2018, 2019 में कम हुआ है। एनजीओ के माध्यम से सेक्टर बेस्ड काम कर रहे हैं।
  • 311 एप पर 7 लाख फॉलोअर हैं। उसके माध्यम से भी जानकारी दी जाएगी।
  • एक मार्गदर्शक एप भी बनाएंगे। इसमें 100 प्रतिशत मतदान केंद्रों की जानकारी, रूट चार्ट सब होगा।
  • इंडस्ट्रियल या कमर्शियल एरिया के साथ शॉपिंग मॉल में डिस्काउंट कूपन भी बांटेंगे।

(जैसा इंदौर कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. इलैया राजा टी ने बताया)

कम ईपी रेशो की वजहें

  • मध्य क्षेत्र में बढ़ते कमर्शियल एरिया ने लोगों को यहां से दूर किया।
  • सड़कों के चौड़ीकरण के कारण भी कई परिवार शिफ्ट हुए हैं।
  • यहां के मतदाता राऊ, क्षेत्र 5 और सांवेर में शिफ्ट हुए हैं, यानी शहरी सीमा से लगे गांवों में।
  • एक बड़ा कारण कोविड का भी सामने आया कि ज्यादातर बाजारों के परिवार इन विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर बाहर की टाउनशिप, मल्टियों में या प्लॉट लेकर स्वतंत्र रूप से रहने लगे हैं।

11 सितंबर आखिरी तारीख

विधानसभा चुनाव-2023 के लिए अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन अगले महीने होगा। 11 सितंबर तक नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन का आखिरी समय है।

क्या होता है ईपी रेशो

ईपी रेशो की गणना किसी विशेष क्षेत्र में दर्ज मतदाताओं की संख्या को उस क्षेत्र की कुल जनसंख्या से विभाजित करके की जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में 1 लाख मतदाता हैं और जनसंख्या 1.50 लाख है तो ईपी अनुपात होगा 67 प्रतिशत।

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