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चुनावी आंकड़ों में इस बार महिला वोटर अहम:इसलिए बीजेपी, कांग्रेस बना रहे महिलाओं को साधने वाली योजनाएं, सिर्फ 3.45 फीसदी कम फीमेल वोटर

नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों के महिलाओं की भूमिका निर्णायक रहने वाली है। इसकी मुख्य वजह इस साल होने वाले चुनाव में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या में सिर्फ 3.45 प्रतिशत का अंतर होना है। इसीलिए राजनीतिक दल महिलाओं को फोकस करने वाली योजनाओं का ऐलान करने और उसे लागू करने में जुटे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों के साथ मध्यप्रदेश के चुनाव में पहली बार एंट्री कर रही आम आदमी पार्टी के निशाने पर एमपी की महिला वोटर हैं। चुनाव में महिलाओं की निर्णायक भागीदारी को देखते हुए शिवराज सरकार ने लाड़ली बहना योजना को खेवनहार के तौर पर जनता के भवसागर के बीच उतार दिया है तो कांग्रेस भी सरकार आने पर नारी सम्मान योजना और 500 रुपए में गैस सिलेंडर के दावे के साथ जंग में खुद को बनाए रखने की जुगत में जुटी है।

कांग्रेस को गैस सिलेंडर, नारी सम्मान, बीजेपी को लाड़ली बहना से आस

मध्यप्रदेश में दो दशक के अंतराल में महिलाओं की भूमिका में भारी बदलाव आता जा रहा है और इसे देखते हुए प्रदेश के दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने महिलाओं पर फोकस किया है। भाजपा लाड़ली लक्ष्मी के बाद लाड़ली बहना योजना के जरिये महिलाओं को साधने में जुट गई है तो कांग्रेस भी सत्ता से बाहर रहने के बावजूद नारी सम्मान योजना समेत अन्य कार्यक्रमों के बहाने महिला वोटर का साथ पाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है।

ऐसे आ रहा महिला वोटर्स की संख्या में उतार चढ़ाव

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा जारी की जाने वाली वोटर लिस्ट की पड़ताल में यह बात साफ हो गई है कि बीस सालों के अंतराल में वोट डालने के लिए महिला वोटर भले ही कम निकल रही हैं लेकिन मतदाता सूची में नाम जुड़वाने को लेकर उनकी भागीदारी बढ़ी है। महिलाओं की जागरुकता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2023 में अब तक प्रकाशित मतदाता सूची के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिला वोटर्स की संख्या मेंं सिर्फ 3,45 प्रतिशत का अंतर है जो अब तक की मतदाता सूची के इतिहास में सबसे कम कहा जा रहा है। बीस सालों के आंकड़ों में तो इसकी पुष्टि भी होती है। इसके पहले 2018 में यह पुरुष और महिला वोटर का अंतर 4.01 प्रतिशत, 2013 के चुनाव में 5.34, वर्ष 2008 के चुनाव में 5.52 और 2003 के चुनाव में 4.36 प्रतिशत रहा है।

बीस सालों में सबसे अधिक अंतर 2023 में दिख रहा राजनीतिक दलों को

2023 में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार कराई गई मतदाता सूची के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल कुल 5 करोड़ 44 लाख 52 हजार 522 मतदाता रजिस्टर्ड हैं। इसमें 2 करोड़ 81 लाख 26 हजार 191 पुरुष और 2 करोड़ 62 लाख 49 हजार 578 महिला वोटर हैं। सूची में शामिल महिलाओं का प्रतिशत 48.20 और पुरुषों का प्रतिशत 51.65 है। यह आंकड़े 2 अगस्त को जारी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की सूची के आधार पर हैं। इस साल महिला वोुटर्स की संख्या पुरुष मतदाताओं से 18.76 लाख कम है। अगले माह 4 अक्टूबर को जारी होने वाली फाइनल मतदाता सूची के आधार पर कुछ बदलाव हो सकते हैं।

2018 में सिर्फ चार प्रतिशत का आया था फर्क

2018 में हुए चुनाव में 5 करोड़ 4 लाख 91 हजार 251 वोटर थे जिसमें फीमेल वोटर 2 करोड़ 42 लाख 30 हजार 390, मेल वोटर 2 करोड़ 63 लाख एक हजार 300 थे। इसमें महिलाओं का प्रतिशत 47.98 और पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत 52.09 रहा है। इस चुनाव में 20.70 लाख महिला वोटर कम थीं।

2013 में 5.34 प्रतिशत कम महिलाओं के नाम थे दर्ज

2013 की मतदाता सूची से पता चलता है कि इस साल कुल 4 लाख 66 हजार 9 हजार 24 वोटर थे जिसमें 2 करोड़ 45 लाख 51 हजार 242 पुरुष और 2 करोड़ 20 लाख 57 हजार 782 महिला मतदाता रही हैं। इसमें महिला मतदाता का प्रतिशत 47.33 और पुरुष का प्रतिशत 52.67 रहा है। इस चुनाव में 24.93 लाख का अंतर पुरुष व महिला वोटर्स में था।

2008 में 5.42 प्रतिशत अधिक थे पुरुष वोटर

2008 की मतदाता सूची देखें तो इस साल कुल मतदाता 3 करोड़ 62 लाख 77 हजार 826 थे जिसमें पुरुष मतदाता एक करोड़ 91 लाख 40 हजार 177 और महिला मतदाता 1 करोड़ 71 लाख 37 हजार 649 थे। इस साल महिला मतदाता प्रतिशत 47.24 और पुरुष का प्रतिशत 52.76 रहा है। इस चुनाव में 20.02 लाख का अंतर पुरुष व महिला वोटर में था।

2003 में था 4.26 फीसदी का अंतर

2003 में हुए चुनावों में तैयार की गई मतदाता सूची के अनुसार कुल मतदाता 3 करोड़ 79 लाख 36 हजार 518 थे जिसमें 1 करोड़ 97 लाख 97 हजार 38 पुरुष और 1 करोड़ 81 लाख 39 हजार 480 महिला मतदाता थे। इस साल हुए चुनाव के लिए तैयार सूची में पुरुष मतदाता 52.18 और महिला मतदाता 47.82 प्रतिशत थे। इस साल 16.57 लाख का अंतर मेल और फीमेल वोटर में रहा है।

सामूहिक प्रयास से लगातार हो रहे बदलाव, बना रहे योजनाएं-बीजेपी

बीजेपी प्रवक्ता राकेश शर्मा कहते हैं कि महिला मतदाताओं की संख्या में लगातार वृद्धि को लेकर प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है। चुनाव आयोग, मीडिया समूहों ने भी इसमें महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है। आयोग लगातार मानीटरिंग कर सुधार की स्थिति लाने में जुटा है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार महिलाओं से संबंधित योजनाओं पर भी फोकस कर रही है।

महिलाओं की जागरुकता, कांग्रेस की कम्प्लेन से सुधरे हालात-कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी कहते हैं कि महिलाएं जागरुक हुई हैं। इसके लिए कांग्रेस के प्रत्याशियों और विधायकों ने जांच कर चुनाव आयोग से कम्प्लेन करके मतदाता सूची को दुरुस्त कराने का काम किया है। जहां उनके नाम डिलीट हुए हैं, उसे जुड़वाने का काम किया गया है। इसको लेकर लगातार की जा रही कोशिशों का असर यह होगा कि महिला वोटर्स की संख्या जनसंख्या के अनुपात में बराबर होने की स्थिति बन जाएगी।


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