शुक्रवार को पर्युषण पर्व का चौथा दिन उत्तम शौच धर्म के रूप में मनाया गया। उत्तम क्षमा, मार्दव - आर्जव के समान आत्मा का एक लक्षण उत्तम शौच है। क्रोध के अभाव से उत्तम क्षमा धर्म, मान के अभाव से उत्तम मार्दव धर्म, माया के अभाव से उत्तम आर्जव धर्म प्रकट होता है। इसी प्रकार लोभ के अभाव से उत्तम शौच धर्म प्रकट होता है। शौच धर्म सफाई का दिन है। दुनिया का आदमी बहुत कीमती है। आज तक हम अपने आप को समझ नहीं पाए।
मोदीजी की नसिया में चातुर्मास कर रहे आचार्य विहर्ष सागर महाराज ने अपने प्रवचन में शुक्रवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि रूस के साइंटिस्ट ने एक मानव शरीर बनाया जिसका खर्चा बहुत अधिक आया, वह भी बिना आत्मा का था। हम अपनी आत्मा को नहीं समझ पाए, आज कोई मानी बन जाता है, कोई चोर बन जाता है, कोई लुटेरा बन जाता है, तो कोई लोभी बन जाता है। लोभ के चक्कर में हम किसी को भी धोखा दे सकते हैं। आज भाई-भाई में कोर्ट- कचहरी चल रही है। लोभ अच्छा- बुरा भूल जाता है, लोभ 5 पापों का बाप है। लोभ की वजह से जैन महिलाएं ब्यूटी-पार्लर चला रही हैं, तो आदमी जूते की फैक्ट्री और दुकान खोल रहे हैं। साधु-संत कभी समझौता नहीं करते, साधुओं के मुख से धर्मात्मा का नाम निकलता है। अरिहंत परमेष्ठी केवल सिद्धों का सुमिरन करते हैं। मात्र लोभ आने पर बाकी की तीन कषाएं आ जाएंगी, इसलिए लोभ से बचकर रहना है।
नीति से कमाओ और दान करो
स्वबुद्धि सुख कारणं यानी आपकी खुद की बुद्धि सुख का कारण है, खुद की बुद्धि से मोक्ष होगा। जब निर्लोभता आती है तो दीन-हीनता अपने आप चली जाती है। लोभ को अपने मन, वचन, काया से निकाल देना ही उत्तम शौच धर्म है। मन की सफाई इतनी कर लो कि एक दूसरे में प्रेम नजर आए। नीति से कमाओ और दान करो।
समाज के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि शुक्रवार सुबह अभिषेक, शांति धारा और पूजा मुनि विजयेश सागर महाराज, मुनि विश्व हर्ष सागर महाराज, बाल ब्र. प्रियंका दीदी, नीतू दीदी एवं रीना दीदी ने करवाई। सोधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य राहुल गोधा-इशिता गोधा परिवार को प्राप्त हुआ।
मुनि विजयेश सागर के लौकिक पिता भी आए
इस अवसर पर राजकुमार पाटोदी, राकेश विनायका, सुशील पांड्या , राजेंद्र सोनी, योगेंद्र काला, ऋषभ पाटनी, रिषभ जैन, विकास जैन आदि विशेष रूप से मौजूद थे। मुनि विजयेश सागर महाराज के लौकिक जीवन के पिता सूरजमल जैन परिवार सहित कार्यक्रम में पधारे। चातुर्मास कमेटी ने सभी का स्वागत किया।
शुक्रवार दोपहर 3 बजे से तत्वार्थ सूत्र का वाचन, शाम 6 बजे से प्रतिक्रमण, सामायिक और रात्रि में 8 बजे से धार्मिक-अंताक्षरी हुई। इसके मुख्य सूत्रधार थे सामाजिक संसद, महिला प्रकोष्ठ।
कार्यक्रम का संचालन कमल काला ने किया। पारस पांड्या ने आभार माना।
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