मनुष्य ने जो उन्नति करना सीखा है एवं अंतहीन आविष्कार कर दिए हैं, वही हमारे लिए समस्या बनते जा रहे हैं। हम प्रकृति की ओर लौटें तभी ज्यादा सुखी रह पाएंगे। ईश्वर ने हमें मिट्टी से पैदा किया, हम मिट्टी और प्रकृति के साथ जुड़कर पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्य करें। समाज का दायित्व है कि, पेड़, पौधे, पानी, जंगल तथा वायु को प्रदुर्शित होने से बचाएं। प्रकृति से प्रेम करेंगे तो ही प्रकृति हमें सहयोग करेगी अन्यथा आने वाला समय, मनुष्य समाज के लिए भयानक होगा।
उक्त बातें विभिन्न वक्ताओं ने सेंट जोसेफ होम कैथोलिक आश्रम परिसर पालदा में रविवार को "धारा मित्र " द्वारा निर्मित कराए गए नए मॉडल के गोबर गैस प्लांट के लोकार्पण कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पर्यावरणविद् मनोरमा मेनन ने कहा कि मिट्टी और गोबर के उपयोग करने एवं प्रकृति के जुड़े रहने से अनेक प्रकार के कार्य एवं रोजगार दिए जा सकते हैं। अनेक सामग्री बनाई तथा बचाई जा सकती है। प्रो. सरोज कुमार ने कहा कि बायोगैस के माध्यम से एक ओर पर्यावरण की रक्षा होती है वहीं दूसरी ओर आर्थिक बचत भी होती है।
संपूर्ण सृष्टि ऊर्जा पर ही आधारित
अभिभाषक एवं गांधीवादी विचारक अनिल त्रिवेदी ने कहा कि प्रकृति ने समाज को लाखों साल पहले आग जलाना, आग बुझाना तथा इसका उपयोग करना सिखाया। संपूर्ण सृष्टि ऊर्जा पर ही आधारित है। गोबर के माध्यम से ऊर्जा एवं प्राकृतिक खाद बनाने से समाज को बड़ा लाभ होगा एवं बहुत सस्ती गैस भी उपलब्ध होगी। हम सादे जीवन की पद्धति को अपनाएं।
बिजली की भी बचत होगी
पर्यावरणविद् ओपी जोशी ने कहा कि गोबर को अनेक कार्यों में उपयोग में लिया जाता है। प्रकृति ने कोई भी चीज व्यर्थ नहीं बनाई है। हम उसका सदुपयोग करें ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत गोबर है। गोबर से गैस बनाने से बिजली की भी बचत हो सकती है।
इन्होंने भी संबोधित किया
कार्यक्रम में शफी मोहम्मद शेख, फादर निकोलस आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आर्च बिशप लियो कोर्नेलियो ने आशीर्वाद दिया। इसके पूर्व फादर निकी, संजय कुंजुर, फादर जार्ज, फादर क्लेरेंस, फादर निकोलस आदि ने बायोगैस प्लांट का फूलों की माला चढ़ाकर लोकार्पण किया। कार्यक्रम में अमिता वर्मा, रूपल अजबे भी उपस्थित थे। संचालन फादर राजू भूरिया ने किया। फादर सगाएदोह ने आभार माना।
ऐसा है नया गोबर गैस प्लांट
प्रतिदिन 10 लीटर गोबर उपयोग कर 6 क्यूबिक मीटर गैस प्रतिदिन बनाई जा सकेगी। इसके माध्यम से पांच सदस्यों के परिवार की गैस की आवश्यकता पूर्ण की जा सकती है । इसमें 10 लीटर या दो तगाड़ी गोबर, जिसमें 10 लीटर पानी मिलाकर धोल तैयार कर इस गैस प्लांट में डाली जाती है तथा घर के किचन की अनुपयोगी खाद्यान्न सामग्री, कटी हुई सब्जियों का कचरा, हरे पत्ते आदि इसमें उपयोग किए जा सकते हैं। इसमें शुरुआत के 15 दिनों तक प्रत्येक दिन 20 लीटर का गोबर का धोल डाला जाता है, जिससे गैस फॉरमेशन प्रक्रिया, ( सड़ने की प्रक्रिया) होती है। इसके बाद प्रतिदिन 6 क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन होना शुरू हो जाता है। इस गोबर के घोल के माध्यम से 40 दिनों तक गैस बनती रहती है। प्रतिदिन 10 लीटर गोबर का धोल डालने से प्रतिदिन 6 क्यूबिक मीटर गैस प्राप्त की जा सकती है। साथ ही इसमें से बाहर निकलने वाले अपशिष्ट से बहुत ही उच्च तथा अच्छे स्तर की खाद तैयार हो जाती है।
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