राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रयोगशाला कहे जाने वाले मालवा-निमाड़ के कुछ पूर्व प्रचारकों ने कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे पर अलग पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। आज इसे लेकर भोपाल में बड़ी बैठक बुला ली गई है। देश के कोने-कोने से रविवार को भोपाल पहुंचे आरएसएस के पूर्व प्रचारक और स्वयंसेवकों ने जनहित पार्टी के नाम से राजनीतिक पार्टी का गठन किया है। भोपाल में हुई बैठक में इसके पांच सूत्रीय एजेंडा तय किए गए हैं। इन्हीं पांच बिंदुओं के आधार पर जनहित पार्टी मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार को आगामी चुनाव में घेरेगी।
इन पांच बिंदुओं पर फोकस करेगी पार्टी
1. शिक्षा 2. स्वास्थ्य 3. दंडनीति 4. अर्थव्यवस्था 5. जिम्मेदार कार्यपालिका
आरएसएस के पूर्व प्रचारक अभय जैन ने कहा कि देश की जनता आज एक स्वच्छ राजनीति की ओर देख रही है और नेता आज जनता से जुड़े मुद्दों को उठाना भूल गए हैं। भाजपा की ही बात की जाए तो पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे महान विचारकों ने जिन विचारों पर पार्टी की स्थापना की थी वह विचार आज भाजपा में कहीं भी नजर नहीं आते हैं। हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के इन्हीं विचारों का अक्षरशः पालन करेंगे और राजनीति में एक नया उदाहरण पेश करेंगे।
जनहित पार्टी का ऐसा होगा एजेंडा
- अगर कोई व्यक्ति पुलिस थाने में जाता है उनकी रिपोर्ट बिना किसी सिफारिश के, बिना पैसे लिए लिखी जाए।
- स्कूल में बिना फीस के शिक्षा मिलनी चाहिए। सारी शिक्षा निशुल्क हो।
- अस्पतालों में गरीब हो या अमीर सबको बराबर का इलाज समय पर और सही मिल जाए।
- न्यायालय में न्याय की गति शीघ्र हो। एसडीएम, तहसील कार्यालय में खसरे की नकल से लेकर एक विद्यार्थी को अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाना हो तो उसको चक्कर न लगाने पड़े। उसके काम तुरंत हो जाएं। अगर कोई एप्लीकेशन दे रहा है तो उसे सरकारी दफ्तर में हर बार में पूछने न आना पड़े। सरकार उसके घर पर काम कराकर भिजवाए।
- जितनी जिम्मेदारी जनता की है उतनी ही जिम्मेदारी शासन तंत्र की है जनता की समस्याओं को समय पर सही तरीके से हल करें।
क्या दल बनाने से पहले संघ के पदाधिकारियों की सहमति ली
इसके जवाब में अभय जैन ने कहा- संघ एक बहुत बड़ा महान संगठन है। उसका दायरा बहुत बड़ा है। उसका दायरा राजनीतिक दल और चुनाव तक सीमित नहीं है। संघ की इच्छा है कि भारत की पूरी राजनीति और भारतीय परंपरा, जीवन मूल्य जिसे हिंदुत्व के नाम से पुकारते हैं। उस पर चले। उसमें से भारतीय जनता पार्टी उसकी एक सबसे महत्वपूर्ण प्रतिनिधि बनकर उभरी। लेकिन संघ ने कभी एक नहीं कहा कि एक ही दल रहे। संघ की इच्छा है कि लोकतंत्र में विभिन्न दल रहें। लोकतंत्र में जितने जो भी दल रहेंगे और सभी दलों में इस विचारधारा की, और अच्छा काम करने की होड़ लगे। यह संघ की मूल सोच है। इसमें कोई परेशानी की बात नहीं है।
हम किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं आए हैं ना किसी का विरोध करने के लिए आए हैं हम जनता के मुद्दों को प्रभावी तरीके से राजनीति में स्थापित करने के लिए आए हैं। गवर्नेंस में सुधार के लिए आए हैं। और हम पूरे राजनीतिक कल्चर में बदलाव के लिए आए हैं। कौन चुनाव लडेगा इसके जवाब में कहा- पार्टी इस पर विचार करेगी किसको लड़ना है किसको नहीं लड़ना है।
संघ का दायित्व छोड़कर बना रहे राजनैतिक दल
अभय जैन ने कहा संघ में जो पदाधिकारी, जिस पर कोई पद दायित्व होता है उसके लिए आवश्यक होता है कि वह कुछ भी करेगा तो अनुमति लेगा। लेकिन जब हमने दायित्व इसीलिए छोड़े थे कि हमारा जो रिश्ता है उस रिश्ते के दायरे में हम नहीं कर सकते थे। उस विचारधारा, अनुशासन, जीवन मूल्य, आचरण वैसे ही है जैसे एक स्वयंसेवक के होना चाहिए। बाकी चीजों के लिए संघ ने नहीं कभी नहीं कहा कि स्वयंसेवक जो करेगा वो हमसे पूछ कर करेगाद्ध संघ सक्षम है इतनी शिक्षा देने के लिए हर स्वयंसेवकों के वे जहां भी जाएगा रोशन करेगा। वह संघ के बैनर पर करें या किसी अन्य बैनर पर करे।
सभी सीटों पर लड़ेंगे यह तय नहीं
जैन ने कहा हमारा जो संगठन है वह नया है हमारे पास उम्मीदवारों की कोई बड़ी भीड़ नहीं है। हमारे पास उम्मीदवारों को घोषित करना कोई कठिन नहीं काम नहीं है। हमारे लिए कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। हम 230 विधानसभा पर नहीं लड़ेंगे। अभी यह देखेंगे विचार करेंगे कितनी सीटों पर लड़ना है। इस पर अभी आंकलन विचार नहीं किया है।
सबसे पहले संघ के पूर्व प्रचारकों में उठी इस आवाज की 2 बड़ी वजह जान लीजिए
1. BJP का हिंदुत्व के मुद्दे पर अलग-अलग राय रखना। संगठन किसी मुद्दे पर सख्त होता है पर सरकार अलग रवैया अपना लेती है।
2. कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर कांग्रेसयुक्त भाजपा बनाकर संघ और भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को अलग-थलग करना।
पहली सूची के बाद अंतर्कलह बढ़ गया
नई पार्टी बनाने का दावा कर रहे आरएसएस के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वैसे ही पार्टी टिकट वितरण को लेकर फिलहाल अंतर्कलह के दौर से गुजर रही है। पहली सूची में ही कई उम्मीदवारों के खिलाफ विरोध के स्वर बुलंद हुए हैं।
पार्टी की नींव रखने के मालवा-निमाड़ और मध्य प्रदेश इसलिए चुना
कुशाभाऊ ठाकरे से लेकर प्यारेलाल खंडेलवाल, कृष्णमुरारी मोघे, माखन सिंह चौहान और अरविंद मेनन जैसे संगठन मंत्रियों ने मालवा-निमाड़ को बीजेपी का गढ़ बनाया था। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आरएसएस के लिए हिंदी भाषी बेल्ट में मध्य प्रदेश और खासतौर पर मालवा-निमाड़ हमेशा गढ़ जैसा रहा। तमाम दिग्गज संघ नेता यहां पर प्रयोग कर चुके हैं। 2003 में दिग्विजयसिंह के खिलाफ फायर ब्रांड नेता उमाभारती भी इसी कारण से भगवा ब्रिगेड के साथ एकतरफा सरकार लाई थी। उसके बाद 15 साल तक बगैर किसी दिक्कत सरकार चलती रही। इसकी वजह तमाम एंटी इनकम्बैंसी के बावजूद संघ का मजबूत वोट बैंक यहां सरकार बनाने में हमेशा साथ देता रहा। यही वजह है कि पार्टी बनाने वालों ने भी इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से की है। यहीं पूरी रूपरेखा बन रही है।
2018 अपवाद रहा लेकिन एंटी इनकम्बैंसी के बावजूद BJP की एकतरफा हार नहीं हुई थी। वो सरकार में नहीं रहकर भी मजबूत विपक्ष की भूमिका में खड़ी हो गई थी। हालांकि सिंधिया के साथ मिलकर तख्तापलट और उसके बाद कई कांग्रेसियों को टिकट से कार्यकर्ताओं उखड़ गए थे। अब फिर उनके टिकट की चर्चा तेज होने लगी तो विरोध उबर आया।
पार्टी बनाने जा रहे RSS से जुड़े रहे किरदार
आरएसएस से मुक्त हो चुके हैं पदाधिकारी
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अलग राजनीतिक पार्टी बना रहे लोगों को RSS बरसों पहले ही दायित्व मुक्त कर चुका है। बावजूद, इनकी जड़ें मजबूत रही हैं। यह एक वजह BJP को चुनाव में नुकसान पहुंचाने के लिए हो सकती है। यह अंडर करंट सामने नहीं दिखाई देगा।
नई पार्टी बना रहे स्वयं सेवकों का कहना है कि पार्टी बनाने का हमारा मकसद देश की जनता को हिंदुत्व आधारित 100% खरी राजनीतिक पार्टी का विकल्प देना है। इसके सदस्य बनने जा रहे डॉ. सुभाष बारोठ का कहना है कि हम लोग 2007-08 तक संघ के दायित्व पदों पर रहे हैं। इसके बाद हम 15 साल से समाज-सेवा का काम कर रहे हैं। लेकिन सामाजिक मुद्दों से कई बार राजनीति प्रभावित नहीं होती है। हमारी समस्या नीतियां बदल नहीं पाती है उन नीतियों को बदलने के लिए भारतीय परंपरा के हिसाब से राजनीति चले इसलिए हमने यह कदम उठाया है।
भारत हितरक्षा अभियान चला रहे थे पूर्व पदाधिकारी
बीजेपी व संघ सूत्रों की मानें तो जो स्वयं सेवक नई पार्टी बना रहे वह 2007-08 के बाद संघ के किसी भी जवाबदेही वाले पद पर नहीं है। 2007-08 के बाद से इन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी। इसके बाद से यह लोग भारत हितरक्षा अभियान के तहत काम कर रहे हैं। समर्थकों द्वारा दावा किया जा रहा है कि इन लोगों के जो मुद्दे हैं उनको लेकर लंबे समय से संघ और सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है। इसी से खफ़ा होकर अब यह लोग नई पार्टी बनाकर राजनीति के मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
आज भोपाल में जुट रहे देशभर के कार्यकर्ता, शाम तक चलेगी
भोपाल में 10 सितंबर को देशभर के कार्यकर्ता जुटेंगे और इस नई पार्टी के गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देंगे। पार्टी का नाम जनहित पार्टी तय किया गया है और इस कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद पार्टी के नाम का आवेदन दिया जाएगा। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में कई जगह अपने समर्थकों को चुनाव लड़ाने की तैयारी है।
बैठक सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक भोपाल में हो रही है। बाहर से आए कार्यकर्ताओं का परिचय, पार्टी स्थापना की पृष्ठभूमि, पार्टी गठन की वैधानिक कार्यवाही, आगामी कार्यक्रमों के विषय में चर्चा कर जिम्मेदारी बांट दी जाएगी। मध्यप्रदेश के सभी क्षेत्रों से कार्यकर्ता यहां आएंगे। सभी कार्यकर्ता सामाजिक रूप से अपने क्षेत्रों में लंबे समय से सक्रिय हैं।
निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव, हजारों लोग हमसे संपर्क में : बारोठ
डॉ. सुभाष बारोठ ने बताया कि भोपाल में आज अहम बैठक हो रही है। 200 लोग जुटेंगे और अपने प्रस्ताव बनाकर चुनाव आयोग को भेज देंगे। इससे हमारी पार्टी रजिस्टर्ड हो सके और चुनाव चिह्न मिल सके। चुनाव तक चिह्न नहीं मिलता है तो हमारे लोग निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इनका समर्थन जनहित पार्टी करेगी। पार्टी के भविष्य के मुद्दों पर भी बात की जाएगी।
बारोठ ने आगे कहा कि बीजेपी अच्छा उद्देश्य लेकर चली थी लेकिन उसकी कार्य शैली ठीक नहीं है। जनता को भी पार्टी की कार्य शैली पसंद नहीं आ रही है। इस कारण उसे कई राज्यों में हार का सामना करना पड़ रहा है। हम चाहते हैं कि देश में पक्ष और विपक्ष दोनों ही हिंदुत्व की बात करें। मुस्लिम तुष्टिकरण और देश विरोधी बातें करने वाली पार्टियां देश में होना ही नहीं चाहिए। मोदी जी एक तरफ कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ BJP पूरी तरह से कांग्रेस युक्त होती जा रही है।
इन मुद्दों के लिए बना रहे पार्टी
- बांग्लादेशी घुसपैठियों का देश से निष्कासन।
- दुनियाभर से प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदुओं को देश की नागरिकता दिलाना।
- अल्पसंख्यकों के विशेष अधिकार (धारा 30) को समाप्त करना।
- राजनीति से अपराधियों को बाहर करना।
- सरकारी स्कूलों में निःशुल्क उच्च स्तरीय पढ़ाई और सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क बेहतर इलाज दिलाना।
- बच्चों को महंगी कोचिंग से मुक्ति दिलाना।
- नशे, अपराध, महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता को राहत दिलाना।
- सरकारी नौकरियों में ईमानदार व्यवस्था बनाना, युवाओं के लिए रोजगार सृजित करना।
- सरकारी दफ्तरों, थानों में आम आदमी को मजबूत बनाना।
- प्रकृति की सुरक्षा तय करना।
0 टिप्पणियाँ