मुंबई-आगरा नेशनल हाईवे पर स्थित गणेश घाट बेहद खतरनाक घाटों में से एक है। यहां हर माह औसतन 10 दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है। इसे मौत का घाट बोला जाने लगा है। दरअसल तीन लेन वाली सड़क पर ढलान और अंधे मोड़ होने से यहां हादसे होते हैं। घाट पर होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एनएचएआइ चार किमी की खतरनाक ढलान वाली सड़क को बंद कर नई सड़क बना रहा है।
मुंबई-आगरा नेशनल हाईवे पर स्थित गणेश घाट बेहद खतरनाक घाटों में से एक है। यहां हर माह औसतन 10 दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है। इसे मौत का घाट बोला जाने लगा है। दरअसल तीन लेन वाली सड़क पर ढलान और अंधे मोड़ होने से यहां हादसे होते हैं। घाट पर होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एनएचएआइ चार किमी की खतरनाक ढलान वाली सड़क को बंद कर नई सड़क बना रहा है।
इससे गणेश घाट की दुर्घटनाओं पर ब्रेक लगने की उम्मीद जताई जा रही है। 8.8 किमी की यह सड़क 200 करोड़ रुपए में बनेगी जिसका काम जारी है। दिसंबर 2024 तक सड़क का काम पूरा करने का लक्ष्य है। खास बात यह है कि नई रोड पर एक भी ब्लैक स्पॉट नहीं होगा।
विभाग ने पहले यहां पेवर ब्लॉक से भी दुर्घटनाएं रोकने की कोशिश की थी, लेकिन परिणाम नहीं आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ग्वालियर से वर्चुअली इसका भूमिपूजन किया। हालांकि लगातार होती दुर्घटनाओं के मद्देनजर सड़क जल्दी तैयार करने के लिए विभाग ने काम पहले शुरू कर दिया था।
अधिकारियों के अनुसार नई रोड से मुंबई-आगरा नेशनल हाइवे के गणेश घाट पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं पर लगाम लग सकेगी। एनएचएआइ चार किमी की खतरनाक ढलान वाली सड़क को बंद कर नई सड़क बना रहा है।
एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल ने बताया कि तीन लेन वाली सड़क पर ढलान और अंधे मोड़ होने से हर माह करीब 10 दुर्घटनाएं होती हैं। हमने पेवर ब्लॉक लगाकर दुर्घटनाएं रोकने की कोशिश की, लेकिन खास परिणाम नहीं आए। वर्तमान में हमने ड्रम रखे हैं। इससे कुछ हद तक राहत है। स्थायी समाधान के लिए नई सड़क बनाई जा रही है।
बांझल ने बताया कि मौजूदा सड़क से तीन किमी दूरी पर 8.8 किमी की नई तीन लेन सड़क बनाई जा रही है। इसमें 4 वाया डक्ट रहेंगे। इस सड़क पर एक भी ब्लैक स्पॉट नहीं होगा। इसके बन जाने के बाद वर्तमान सड़क बंद हो जाएगी। आने वाली लेन को बढ़ा दिया जाएगा। 200 करोड़ में बनने वाली नई सड़क का काम पूरा करने का लक्ष्य दिसंबर 2024 तक रखा है। हालांकि जून 2024 तक ही काम पूरा करने की कोशिश की जा रही है।
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