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15 सीटों पर खड़े बागियों ने उड़ाई भाजपा-कांग्रेस की नींद

भाजपा में तकरार कम तो कांग्रेस में अब भी रार- इंदौर-उज्जैन संभाग की 15 सीटों पर बागी प्रत्याशियों का रोड़ा, मनाने के जतन जारी - भोपाल से लेकर दिल्ली दरबार भी सक्रिय

मध्यप्रदेश चुनाव 2023

इंदौर। प्रदेश के अहम चुनावी रण मालवा- निमाड़ में 15 सीटों पर खड़े हुए बागियों ने भाजपा और कांग्रेस की नींद उड़ा रखी है। इनको मनाने दोनों ही पार्टी के बड़े नेताओं ने ताकत लगा दी है तो भोपाल से लेकर दिल्ली दरबार की टीमें भी सक्रिय हैं। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद भाजपा के लिए कुछ राहत है। तकरार कम हुई है, लेकिन कांग्रेस में रार बरकरार है। कांग्रेस के कई बागी प्रत्याशी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।

खासकर इंदौर संभाग की कुछ सीटों पर तो कांग्रेस के आखिरी प्रयास भी रंग लाते नहीं दिख रहे। 2018 के विधानसभा चुनाव में बागियों ने खेल बिगाड़ा था। खासतौर पर भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ था। उसके बागियों ने तो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया था जिसमें महेश्वर और बदनावर अहम है। इस बार भी मालवा-निमाड़ में पार्टी से टिकट नहीं दिए जाने पर भाजपा और कांग्रेस के बागियों ने चुनाव मैदान संभाल लिया है। 2 नवंबर को नाम वापसी का आखिरी दिन है। इसको लेकर भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बागियों को मनाने के लिए तमाम जतन शुरू कर दिए हैं।

हर स्तर पर चल रहे प्रयास

बागी प्रत्याशियों को मनाने के लिए संभागीय प्रभारी से लेकर जिम्मेदार नेताओं के साथ में प्रदेश स्तर के पदाधिकारी भी इस काम में लगे हुए है। दोनों ही दलों ने उन नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जो बागियों को मना सके या उनकी बात मान लें, इसमें भाजपा के नेता कुछ बागियों को मानने में सफल हो गए हैं, लेकिन कांग्रेस के कुद बागी अभी भी अडिग है।

भाजपा में यहां बगावत

बुरहानपुर: भाजपा से बगावत कर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद रहे नंदकुमार चौहान के बेटे हर्षवर्धन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। संगठन के साथ सत्ता के प्रमुख नेताओं ने भी बात की, फिलहाल वे नहीं माने।

मनावर: भाजपा नेता व पूर्व मंत्री रंजना बघेल ने नामांकन दाखिल कर दिया था। उनकी नाराजगी दूर हो गई है। गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ पहले बात करेंगी और फिर नामांकन वापस ले सकतीं है।

जोबट: भाजपा के पूर्व विधायक माधोसिंह डाबर नाराज है, वे बुधवार तक नहीं माने, फिर भी पार्टी के प्रयास जारी हैं।

धार: भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष राजू यादव अभी तक नहीं माने हैं, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनसे बात की थी। उनकी नाराजगी संगठन से कम पार्टी प्रत्याशी से ज्यादा बताई जा रही है।

देपालपुर: यहां से भाजपा के बागी राजेंद्र चौधरी चुनाव लडऩे पर अड़े हैं, हालांकि मनाने के प्रयास जारी है।

महिदपुर: पूर्व विधायक व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विजेंद्र सिंह ने नामांकन दाखिल किया है। उज्जैन संभाग प्रभारी व प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने सिंधिया से बात करा दी, वे लगभग मान गए हैं।

जावद: यहां से पुरणलाल अहीर ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया जो अब तक नहीं माने है।

महेश्वर: भाजपा के दिनेश कोकड़े ने अब तक नामांकन वापस लेने का फैसला नहीं किया है, जबकि पार्टी नेता लगातार संपर्क में है।

मंधाता: भाजपा के संतोष कुमार राठौर ने भी नामांकन दाखिल रखा है जो कि राष्ट्रीय नेता के समर्थक भी है। यहां चर्चा का दौर जारी है।

कांग्रेस के लिए ये बागी परेशानी

शाजापुर: कांग्रेस के योगेंद्र सिंह (बंटी बना) ने नामांकन दाखिल किया है। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय नेता ने भी समझाने का प्रयास किया जो अभी भी जारी है।
सेंधवा: टिकट काटे जाने पर कांग्रेस विधायक ग्यारसीलाल रावत निर्दलीय मैदान में है।

पानसेमल: कांग्रेस से सुरती बाई जाधव मैदान में है। उषा मोरे ने भी नामांकन भरा था जो बी फॉर्म के फेर में रिजेक्ट हो गया।
झाबुआ: कांग्रेस के जेवीयर मेढ़ा ने आप पार्टी का दामन थाम लिया, वे आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है।

महू: कांग्रेस से दो बार विधायक रहे अंतरसिंह दरबार ने बगावत का झंडा उठा रखा है। उन्होंने साफ कर दिया कि वे चुनाव लड़ेंगे।
बडनग़र: कांग्रेस के राजेंद्र सोलंकी अब तक नहीं माने हंै।

दोनों पार्टियों में बगावत

आलोट: यहां कांग्रेस से विधायक रहे प्रेमचंद गुड्डू तो भाजपा के रमेश मालवीय ने नामांकन दाखिल किया है, दोनों ही पीछे हटते नजर नहीं आ रहे।


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