योध्या में बन रहे श्रीरमा मंदिर निर्माण नागरशैली में शास्त्रों के अनुसार किया गया है। मंदिर के नीचे करीब 12 मीटर तक की मिट्टी हटाकर उसकी जगह मिर्जापुर के आस-पास के चट्टानी पत्थरों के चूरे (मिट्टी) को भरा गया।
भगवान राम की जन्मभूमि पर ऐतिहासिक राममंदिर का निर्माण इस तरह किया जा रहा है कि यह एक हजार साल तक यथावत रहे। इसका ढांचा 6.4 तीव्रता तक का भूकंप आसानी से झेल सकेगा और बाढ़ आने पर भी इसका कोई नुकसान नहीं होगा। इसके लिए मंदिर के नीचे का पूरा आधार बदल दिया गया है। सत्तर एकड़ में फैले राम मंदिर परिसर में निर्माण कार्य (मंदिर सहित) की लागत दो हजार करोड़ रुपए आंकी गई है, जो और बढ़ सकती है। मंदिर निर्माण से जुड़े स्ट्रक्चरल इंजीनियर गिरीश सहस्तर भोजनी ने बताया कि 394 पिलरों पर टिके तीन मंजिला मंदिर के भूतल में केवल फिनिशिंग का काम बाकी है। पहली मंजिल का 65 प्रतिशत काम हो चुका है। गर्भगृह के बाद मंदिर परिसर का पूरा काम करीब दो साल में खत्म होगा। मंदिर निर्माण नागरशैली में शास्त्रों के अनुसार किया गया है।
12 मीटर गहराई तक भरा गया है चट्टानी पत्थरों का चूरा
सरयू नदी मंदिर परिसर से करीब 400 मीटर दूर बह रही है। नदी के साथ बहकर आए रेतीले कणों के कारण यहां की मिट्टी में स्थायित्व नहीं था, इसलिए इंजीनियरों ने यहां पर पूरा आधार ही बदल दिया। मंदिर के नीचे करीब 12 मीटर तक की मिट्टी हटाकर उसकी जगह मिर्जापुर के आस-पास के चट्टानी पत्थरों के चूरे (मिट्टी) को भरा गया। इसे भरते समय विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया। 30 सेंटीमीटर की परत को 25 सेंटीमीटर तक दबाया गया। गर्भगृह के नीचे दो मीटर और गहरी खुदाई की गई। इस तरह से कुल 48 परतों में आधार को बदल गया ताकि यह भूकंप के झटकों को आसानी से सह सके। यह मंदिर टेक्टोनिक जोन 3 में स्थित है।
देश-विदेश से आ रहे गिफ्ट, आभूषण-पोशाक से लेकर इत्र तक
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश-विदेश से भक्त 'गिफ्ट' भेज रहे हैं। इससे मर्यादा पुरुषोत्तम की गोलख भर गई है। इनमें आभूषण, महंगी व आकर्षक पोशाक से लेकर इत्र-परफ्यूम तक शामिल हैं। एक भक्त ने तो मंदिर के लिए 'घंटा' भेजा है। अब श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट यह सोच रहा है कि भक्त की इस भेंट को कहां और कैसे उपयोगी बनाया जाए। अभी इसे कारसेवकपुरम परिसर में हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रखा गया है। मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का कहना है कि इन भेंटों के संबंध में अधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन पर इसकी जानकारी दी जाएगी।
सहयोग के लिए भक्तों में होड़
रामलला के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। मंदिर परिसर में डोनेशन काउंटर बने हैं। रामलला के दर्शन के बाद लोग सीधे इस काउंटर में पहुंच रहे हैं। यहां नगद राशि, ड्राफ्ट और चैक के माध्यम से सहयोग राशि ली जा रही है और उसी समय रसीद भी दी जा रही है। ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने निधि समर्पण अभियान नहीं चलाया है। लोग अपनी स्वेच्छा से सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में जो राम मंदिर के नाम पर राशि मांग रहे हैं, उससे बच के रहें।
मंदिर की बुनियाद तीन फीट ऊंची
- बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से खूबसूरतीः मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यह गुलाबी सैंड स्टोन है। सैंड स्टोन सबसे मजबूत माना जाता है।
- हर स्तंभ में 16 मूर्तिः मंदिर में विष्णु के दस अवतार, 64 योगी, 52 शक्तिपीठ और सूर्य भगवद के 12 रूप हैं। प्रत्येक स्तंभ में लगभग 16-16 मूर्तियां हैं। मंदिर 250 पिलरों में भगवान की एक-एक मूर्ति है।
- रामायण की नक्काशीः मंदिर की बुनियाद तीन फीट ऊंची है और मंदिर के घूमते 250-300 फीट तक हैं। जिसमें संपूर्ण रामायण का वर्णन किया गया है। यह दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा।
- 65 करोड़ लोगों का सहयोगः विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख विजय शंकर तिवाड़ी का कहना है कि सीधे तौर पर 12.50 करोड़ परिवारों के 65 करोड़ लोगों ने निधि समर्पण अभियान के तहत सहयोग दिया।
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