इंदौर भारत में प्रतिवर्ष अनुमानित 13 लाख लोगों की मृत्यु तम्बाकु के सेवन से होती है और प्रतिवर्ष अनुमानित 4.36 लाख मौतें टी.बी. के कारण होती हैं। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि लगभग 38 प्रतिशत टी.बी. से होने वाली मौतें तम्बाकू के सेवन से जुड़ी है। कभी न धूम्रपान करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में टी.बी. की व्यापकता तीन गुना अधिक है। धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में टी.बी. से मृत्यु की दर तीन से चार गुना अधिक है। धूम्रपान से टी. बी. के लक्षणों की गंभीरता बढ़ जाती है। धूम्रपान टी.बी. की दवा की प्रतिक्रिया पर प्रतिकुल प्रभाव डालता है। धूम्रपान से दोबारा टी.बी. होने की संभावना बढ़ जाती है। टी.बी. के साथ धूम्रपान करना घातक होता है एवं इससे मृत्यु भी हो सकती है।
टी.बी. और तम्बाकू में सहरुग्णता (Co-morbidity) होती है। तम्बाकू के धुंए में जहरीले रसायन होते हैं, जो फेफड़ों की ब्रोन्कियल सतह में गड़बड़ी पैदा करते हैं। साथ ही साथ तम्बाकू का धुंआ रोगी की टी.बी. बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता कमजोर कर देता है। इन तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए 'राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम' एवं 'राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम' में सहयोग एवं समन्वय की रणनीति तैयार की गई, जिससे की लाखों जिन्दगियों को बचाया जा सके।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस. सैत्या ने बताया कि तम्बाकू छोड़ने हेतु संक्षिप्त सलाह परामर्श तकनीक (BACT) को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तम्बाकू छोड़ने के लिए एक लागत प्रभारी और परिणाम देने वाली तकनीक के रुप में अनुशंसित किया गया है। इसमें तम्बाकू सेवन बंद करने की सलाह आमतौर पर नियमित परामर्श या बातचीत के दौरान केवल कुछ मिनिटों के लिए सभी तम्बाकू उपयोगकर्ताओं को दी जाती है। इस तकनीक में 5A (Ask/Advise/Assess/Assist/
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