बीते 5 वर्षों में हुए सभी समझौतों में मोदी सरकार समय से आगे, समयपूर्व सभी शर्तों को पूरा करने का प्रयास किया गया -अमित शाह
प्रधानमंत्री मोदी के उग्रवाद-मुक्त नॉर्थईस्ट के ब्रॉडर विजन के बिना ये संभव नहीं था!
उल्फा द्वारा लंबे संघर्ष में दोनों पक्षों के लगभग 10 हज़ार लोग मारे गए, जो इस देश के ही नागरिक थे, लेकिन आज इस समस्या का संपूर्ण समाधान हो रहा है
अनुराग मिश्रा! नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में, भारत सरकार, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के प्रतिनिधियों के बीच आज नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के शांतिपूर्ण, समृद्ध और उग्रवाद-मुक्त पूर्वोत्तर और असम में स्थायी शांति और सर्वांगीण विकास के सपने को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा और केन्द्रीय गृह मंत्रालय और असम सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
अमित शाह ने कहा कि आज असम के लिए एक सुनहरा दिन है जब लंबे समय से हिंसा का दंश झेल रहे नॉर्थईस्ट और असम में शांति स्थापित होने जा रही है। उन्होंने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से दिल्ली और नॉर्थईस्ट के बीच की दूरी कम करने के प्रयास हुए और खुले मन से सबके साथ बातचीत की शुरूआत हुई। श
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में ही उग्रवाद, हिंसा और विवाद-मुक्त नॉर्थईस्ट की परिकल्पना लेकर गृह मंत्रालय ने काम किया। उन्होंने कहा कि पूरे नॉर्थईस्ट में पिछले 5 वर्षों में विभिन्न राज्यों के साथ शांति और सीमा संबंधित 9 समझौते हुए हैं, जिनके कारण आज नॉर्थईस्ट के बड़े हिस्से में शांति की स्थापना हुई है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज तक 9000 से अधिक कैडर ने सरेंडर किया है और असम के 85 प्रतिशत हिस्से से AFSPA को हटा लिया गया है। उन्होंने कहा कि आज भारत सरकार, असम सरकार और उल्फा के बीच हो रहे त्रिपक्षीय समझौते से पूरे असम के सभी हिंसक गुटों को समाप्त करने में मोदी सरकार को सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि आज हुआ समझौता असम और पूरे नॉर्थईस्ट में शाति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
अमित शाह ने कहा कि आज के समझौते के तहत, उल्फा प्रतिनिधियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने, सभी हथियार डालने और अपने सशस्त्र संगठन को खत्म करने पर सहमति व्यक्त की है। इसके अलावा उल्फा अपने सशस्त्र कैडरों के कब्जे वाले सभी शिविरों को खाली करने, कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने और देश की अखंडता को बनाए रखने पर भी सहमत हुआ है।
अमित शाह ने कहा कि उल्फा संघर्ष में दोनों पक्षों के लगभग 10 हज़ार लोग मारे गए, जो इस देश के ही नागरिक थे, लेकिन आज इस समस्या का संपूर्ण समाधान हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने एक बहुत बड़े पैकेज और असम के विकास के प्रोजेक्ट्स को भी सहमति दी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार समझौते की हर बात पर पूरी तरह अमल करेगी और इस पर खरी उतरेगी।
2014 में मोदी सरकार आने के बाद असम में हिंसक घटनाओं में 87 प्रतिशत, मृत्यु में 90 प्रतिशत, अपहरण में 84 प्रतिशत और अकेले असम में अब तक 7500 कैडर ने सरेंडर किया है, जिसमें आज 750 और जुड़ जाएंगे। इस प्रकार अकेले असम में में 8200 से अधिक कैडर द्वारा आत्मसमर्पण किया जाना असम के लिए शांति के नए युग का सूत्रपात है।
मोदी सरकार ने 2019 में एनएलएफटी, 2020 में ब्रू, बोड़ो, 2021 में कार्बी, 2022 में आदिवासी समझौता, असम-मेघालय सीमा समझौता, 2023 में असम-अरूणाचल सीमा समझौता और यूएनएलएफ और आज उल्फा के साथ समझौता किया है। उन्होंने कहा कि आज इस समझौते के साथ ही पूरे नॉर्थईस्ट और विशेषकर असम के लिए शांति के नए युग की शुरूआत होने जा रही है।
अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार का गृह मंत्रालय उल्फा की मांगो को पूरा करने के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम बनाएगा और इसकी मॉनीटरिंग के लिए एक समिति भी बनाई जाएगी जो असम सरकार के साथ मिलकर समझौते को पूरा करने का प्रयास करेगी।
शाह ने कहा कि 2019 के बाद हुए सभी समझौतों में मोदी सरकार समय से आगे है और समय़पूर्व सभी शर्तों को पूरा करने का प्रयास किया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के उग्रवाद-मुक्त नॉर्थईस्ट के ब्रॉडर विज़न के बिना ये संभव नहीं था।
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