नए सत्र से बीकॉम, बीए, बीबीए और बीएससी सहित किसी भी परंपरागत यूजी काेर्स में एडमिशन लेने वाले छात्राें के गलत विषय चुनने के बावजूद सिस्टम में काेई बदलाव नहीं किया गया है। स्थिति यह है कि पिछले दाे साल में इन काेर्स के 22 हजार से ज्यादा छात्र ओपन इलेक्टिव, मैजर व वाेकेशनल के ताैर पर वह विषय चुन चुके हैं, जिसके लिए वे पात्र ही नहीं हैं।बावजूद इसके न ताे कॉलेजाें की तरफ से काेई कदम उठाए गए हैं और न ही यूनिवर्सिटी ने काेई ठाेस निर्णय लिया है।
जानकाराें का कहना है कि 2024 के सत्र में फिर यही स्थिति बनना तय है। इसमें सुधार नहीं हुआ ताे नई शिक्षा नीति का पूरा सिस्टम गड़बड़ा जाएगा। चूंकि अब नई शिक्षा नीति चाैथे वर्ष में प्रवेश कर रही है। इसकी पढ़ाई हाेने के बाद नई शिक्षा नीति का एक चक्र पूरा हाे जाएगा। उसके बाद भी कई ऐसे बिंदु हैं, जिन्हें लेकर काेई मजबूत सिस्टम नहीं बन पाया है। इसका असर परीक्षाओं व रिजल्ट पर पड़ेगा।
10 हजार छात्रों के बदले गए थे विषय
पिछले साल ही यूजी के 10 हजार से ज्यादा छात्राें ने गलत ओपन इलेक्टिव विषय चुन लिए थे। यूजी फाइनल ईयर के इन छात्राें काे अपने संकाय काे छाेड़ दूसरे संकाय के किसी विषय काे चुनना था, लेकिन उन्हाेंने अपने संकाय का विषय चुन लिया, जबकि बीकॉम के छात्राें काे बीए और बीएससी के 15-15 विषयाें (कुल 30) में से काेई एक विषय चुनना था।
वहीं बीए के छात्राें काे बीकॉम के 5 व बीएससी के 15 में से काेई एक विषय का चयन करना था। वहीं बीएससी के छात्राें काे बीकॉम के 5 या बीए के 15 में से काेई एक विषय चुनना था, लेकिन इन छात्राें ने अपने ही विषय में से चुन लिया। बवाल मचने के बाद अब उच्च शिक्षा विभाग ने 31 दिसंबर 2023 तक का वक्त दिया। इस दाैरान छात्र अपना विषय बदल सके। इससे पहले सेकंड ईयर के छात्र भी मैजर-2 व ओपन इलेक्टिव में गलत विषय चुन चुके हैं।
यहां हाे रही है चूक
- छात्राें काे पता ही नहीं कि उन्हें काैन से ओपन इलेक्टिव विषय चुनने की पात्रता है, जबकि बीकॉम, बीए, बीएससी, बीबीए सहित सभी यूजी काेर्स के छात्राें के लिए नई पॉलिसी में नियम है कि वे दूसरे किस काेर्स के एक विषय काे ओपन इलेक्टिव के ताैर पर चुन सकते हैं।
- काैन से मैजर-1 व मैजर-2 विषय की पात्रता है, यह भी नहीं पता। ऐसे में यूजी सेकंड ईयर के ही 2 हजार छात्राें ने पिछले साल गलत विषय चुन लिए थे।
- इसके अलावा वाेकेशनल विषयाें काे लेकर भी गफलत है। छात्राें काे 25 विषयाें की सूची उपलब्ध करवाई जाती है। इनमें से एक चुनना अनिवार्य है, लेकिन हकीकत यह है कि 90 प्रतिशत कॉलेजाें ने छात्राें काे सिर्फ 3 या 4 के विकल्प दिए हैं। इसके कारण छात्राें से गलती हाे जाती है।
ये है नई पॉलिसी का सिस्टम
नई एजुकेशन पॉलिसी में छात्राें काे दाे मैजर, एक माइनर, एक वाेकेशनल विषय के साथ फाउंडेशन (इसमें कुल चार विषय) और एक ओपन इलेक्टिव विषय चुनना हाेता है। शिक्षाविद् डॉ. संगीता भारूका कहती हैं कि कई बार यह हाेता है कि छात्र समझ ही नहीं पाते कि उन्हें किस वर्ष में काैन सा वाेकेशनल, मैजर-2 या ओपन इलेक्टिव विषय चुनना है, क्याेंकि हर वर्ष में विषय चयन की प्रक्रिया बदल जाती है। फाउंडेशन में भी यही स्थिति है। हिंदी व अंग्रेजी के अलावा बाकी दाे विषयाें में कम से कम एक हर साल बदल जाता है।
एक्सपर्ट व्यू -डॉ. मंगल मिश्र, शिक्षाविद्
पूरी लिस्ट चस्पा करना चाहिए
अब कॉलेजाें व यूनिवर्सिटी काे कैंपस में बकायादा काेर्स के लिहाज से ओपन इलेक्टिव, मैजर 1 व 2, वाेकेशनल व फाउंडेशन विषयाें की पूरी लिस्ट ईयर अनुसार चस्पा करना चाहिए, ताकि इस तरह की परेशानी से बचा जा सके। छात्राें काे भी कॉलेज पहुंचकर क्लास टीचर से संपर्क कर विषय चयन के बारे में समझना चाहिए। कई बार छात्र सीधे कियाेस्क सेंटर पहुंचकर मन से ही विषय चुन लेते हैं। यूनिवर्सिटी और कॉलेजाें काे भी समन्यव के लिए साथ बैठक करना चाहिए। नई शिक्षा नीति में कई अन्य विषय भी हैं, जिनका समाधान जरूरी है। सभी काे मिलकर उसी पर फाेकस करना चाहिए।
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