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राम को भारत की सांस्कृतिक एकता के रूप में स्थापित करने के लिए पीएम मोदी की बड़ी पहल

22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राणप्रतिष्ठा होगी। भगवान राम को उत्तर भारत तक ही सीमित रहने वाले मिथक को भंग करने के साथ पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा राम को देश की सांस्कृतिक एकता के रूप में स्थापित करने की भी बड़ी पहल की जा रही है।

अयोध्या में भगवान रामलला की प्राणप्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण के राज्यों का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वह भगवान विष्णु के अवतार राम और कृष्ण से जुड़े मंदिरों में काफी समय भी दे रहे हैं। जहां पर पीएम मोदी राज्यों की भाषा से जुड़े रामायण भी सुन रहे हैं। माना जा रहा है कि यह पूरी कवायद भगवान राम को उत्तर भारत तक ही सीमित रहने वाले मिथक को भंग करने के साथ पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा राम को देश की सांस्कृतिक एकता के रूप में स्थापित करने की भी बड़ी पहल है।
विविधताओं के बाद भी सांस्कृतिक दृष्टि से एक है भारत
संघ और भाजपा की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा यही है कि तमाम विविधताओं के बाद भी भारत एक है। माना जाता है कि भले ही राज्यों में भाषा और रहन सहन के मामले में विविधता है लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से भारत सदियों से एक रहा है। इसी तथ्य को स्थापित करने के लिए पीएम मोदी ने एक भारत- श्रेष्ठ भारत अभियान की भी पहल की। इसी अभियान के तहत पहले काशी तमिल संगमम के भी कई आयोजन कराए गए।
पीएम तमिल और कर्नाटक से भी देंगे राम का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार और शनिवार को कर्नाटक- तमिलनाडू का दौरा करेंगे। शनिवार को तिरूविरापल्ली के श्री रंगम मंदिर व रामनाथपुरम के रामेश्वरम मंदिर में भगवान राम का दर्शन करेंगे। रामवेश्वरम ने भगवान राम ने समुद्र पर पुल बनवाया था। पीएम मोदी वहां से ही जल भरकर प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन अयोध्या में जलाभिषेक करेंगे।
उत्तर दक्षिण के भेद को खत्म करने की योजना
संघ के एक वरिष्ठ विचारक के अनुसार मुगल काल से बिटिश काल तक भारत की विविधता को गलत संदर्भ में प्रचारित किया गया था। भ्रांति यह भी फैलाई गई कि कोई ऐसा तत्व नहीं है कि जिससे यह माना जाय कि भारत एक था। पीएम के इस दौरे से इस भ्रांति को खत्म करने की योजना है।

 

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