इंदौर के 9 साल के अवनीश तिवारी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। सोमवार को ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अवनीश समेत 19 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया था।
अवनीश मप्र (इंदौर) से एकमात्र नाम है जिसका चयन इस पुरस्कार के लिए हुआ था। वे सबसे कम उम्र के अवार्डी हैं। उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में अवार्ड मिला है। उसने सात साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट बैस कैंप की चढ़ाई की थी। वे ऐसा करने वाले पहले स्पेशल चाइल्ड हैं।
अवनीश डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हैं। वह मुख्य रूप से अनाथ बच्चों और दिव्यांग बच्चों के अधिकारों के लिए काम करते हैं। यह उनका दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग बाल पुरस्कार भी मिल चुका है। प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से सम्मानित ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड समारोह में शामिल होंगे।
अब यहां जान लीजिए अवनीश के जीवन का सफर..
अवनीश जब सिर्फ एक साल के थे, तब उन्हें बॉयोलॉजिकल माता-पिता ने जेनेटिक क्रोमोसोम डिसऑर्डर से पीड़ित होने के कारण अनाथाश्रम में छोड़ दिया था। अवनीश के दिल में जन्म से छेद है और घुटने भी ठीक नहीं है। वे कई शारीरिक परेशानियों से भी जूझ रहे थे।
सिंगल पेरेंट ने लिया था गोद
शहर के आदित्य तिवारी जब अनाथालय में एडॉप्शन के लिए गए तो उन्होंने अवनीश से एक अलग ही जुड़ाव महसूस किया। उन्होंने उसे गोद लेना चाहा, लेकिन नियम आड़े आ गए थे। वे अविवाहित थे और उम्र भी कम थी। अवनीश को पाने के लिए उन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। उनके लंबे संघर्ष के बाद ही कारा ने सिंगल लोगों के लिए नियमों में बदलाव किया था। उन्होंने बच्चे को एक साल की उम्र में गोद लिया और उसे नाम दिया अवनीश। कुछ समय बाद अर्पिता से शादी की। महू आर्मी स्कूल में अवनीश नॉर्मल कहे जाने वाले बच्चों के साथ पढ़ता है और उसे कोई परेशानी नहीं आती।
चार वर्ल्ड रिकॉर्ड समेत 30 से ज्यादा एक्सीलेंस अवॉर्ड मिले
अवनीश के नाम पर चार वर्ल्ड रिकॉर्ड भी हैं। उन्हें 30 से ज्यादा एक्सीलेंस अवार्ड भी मिल चुके है। 2023 में चाइल्ड आइकॉन अवार्ड और डाउन सिंड्रोम एक्सीलेंस अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। वे एक हजार से ज्यादा सेमिनार, वेबिनार को संबोधित कर चुके हैं।
एवरेस्ट पर 600 मीटर की ट्रैकिंग की
अवनीश यूनाइटेड नेशन व जिनेवा में भी कई कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए हैं। चाइल्ड ट्रैफिकिंग रैकेट को भी एक्सपोज कर चुके हैं। सात साल की उम्र में ट्रैकिंग करते हुए माउंट एवरेस्ट तक पहुंच चुके हैं। एवरेस्ट पर 600 मीटर की ट्रैकिंग करने का रिकॉर्ड भी उनके नाम पर है। इंदौर चिड़ियाघर में एक टाइगर को भी उन्होंने गोद ले रखा है।
एवरेस्ट पर चढ़ा इंदौर का 7 साल का दिव्यांग
इंदौर के अवनीश ने 7 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर डाली। अवनीश ऐसा करने वाला दुनिया का पहला बच्चा बन गया है। वह 18 हजार 200 फीट की ऊंचाई तक पहुंचा और तिरंगा फहराया। अवनीश डाउंस सिंड्रोम से ग्रसित है। अवनीश, पिता आदित्य तिवारी के साथ 14 अप्रैल 2021 को एवरेस्ट यात्रा पर निकला था। पांच दिन बाद 19 अप्रैल को वो शिखर पर पहुंचा।
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