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शनि जयंती और वट सावित्री व्रत 6 जून को:चार बड़े शुभ योग में स्नान-दान और व्रत-पूजा से बढ़ेगा पुण्य

6 जून को वट सावित्री के साथ शनि जयंती भी मनाई जाएगी। खास बात ये है कि इस दिन के ग्रह-नक्षत्रों से तीन बड़े शुभ संयोग बन रहे हैं। जो अखंड सौभाग्य की कामना से व्रत रखने वाली महिलाओं और शनि भक्तों के लिए मंगलकारी होंगे। इस दिन किए गए तीर्थ स्नान, दान या पवित्र नदी के जल से नहाने से कई गुना पुण्य फल मिलता है। इस पर्व पर जरुरतमंद लोगों को भोजन और जल दान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।

अमावस्या पर चार ग्रहों का शुभ संयोग
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक बुधवार और अमावस्या के शुभ संयोग में गजकेसरी, बुधादित्य, लक्ष्मी और शश योग बन रहे हैं। ग्रहों से बन रहा ये महासंयोग दिन को और शुभ बना रहा है।

शुभ संयोग में किए गए स्नान-दान और पूजा का फल और बढ़ जाएगा। स्नान-दान से पितरों का तृप्ति मिलेगी। शनि का अपनी ही राशि कुंभ में होना बेहद शुभ रहेगा। ऐसे में शनि जयंती पर शनि के लिए किए गए स्नान-दान से शनि से मिलने वाले अशुभ असर में कमी आएगी।

जरुरतमंद लोगों की मदद का दिन
ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का प्रकटोत्सव है। ये न्याय के अधिपति देव हैं। शनि से जुड़े दोषों से राहत पाने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या बहुत ही खास दिन होता है।

शनि देव अच्छे कर्म करने वालों से प्रसन्न रहते हैं। इनकी कृपा पाने का एक सहज उपाय ये है कि बूढ़े, रोगी, दिव्यांग और असहाय लोगों की मदद करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

सुहागिनों का पर्व है वट सावित्री
वट सावित्री अमावस्या सुहागिनों के लिए खास दिन होता है। इसी दिन सावित्री ने इसी पूजा से यमदेव को प्रसन्न कर पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी।

पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए अमावस्या पर महिलाएं बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाकर उसके तने पर कच्चा धागा लपेटती हैं। फिर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसके बाद सौभाग्य और समृद्धि की कामना से पेड़ की परिक्रमा करती हैं।


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