भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी को अब तक के सर्वाधिक 78.54% वोट मिले, वहीं 14.01% मतदाताओं ने नोटा को चुना। 9 राउंड की मतगणना में अंत के दो राउंड ऐसे भी आए, जब भाजपा से ज्यादा वोट नोटा को मिले।
क्षेत्र क्र. 5 में सबसे ज्यादा 19 राउंड थे। 18वें राउंड में सिर्फ इसी क्षेत्र की गणना होनी थी। इसमें लालवानी को 3760 वोट मिले तो नोटा में 5518 वोट गए। 19वें राउंड में भाजपा को 1042 तो नोटा को 4938 वोट मिले। इंदौर-3 और 5 में क्रमश: 21.57 और 21.54% वोट मिले।
क्षेत्र-1 में भाजपा को 1.80 लाख वोट मिले तो 31835 वोट नोटा में गिरे। 2 नंबर में नोटा में 21 हजार 330, तीन में 23 हजार 618, चार में 22956 और पांच में 53 हजार, 133 वोट नोटा में गिरे। पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृह क्षेत्र राऊ में भाजपा को 79.88% वोट मिले तो नोटा में मात्र 12.42% वोट गिरे। सांवेर में सबसे कम वोट 9.22% नोटा में गए तो देपालपुर में 10.01%। भाजपा को क्षेत्र क्रमांक 5 में ही सबसे कम 1.67 लाख (69.08) वोट मिले।
तब हजार वोट भी नहीं गए थे नोटा में
2019 में आठों सीट में से कहीं भी नोटा में हजार वोट भी नहीं गिरे थे। इस बार हर सीट पर 18 हजार से ज्यादा वोट नोटा को मिले।
इंदौर-5 के दो राउंड में लालवानी से ज्यादा नोटा को मिले वोट
नोटा का विकल्प 2013 के चुनाव में आया था। तब से इंदौर में तीन विधानसभा, दो लोकसभा और दो नगर निगम चुनाव हो चुके हैं। इनमें से किसी भी चुनाव में नोटा को डेढ़ प्रतिशत वोट भी नहीं मिले। इस बार कांग्रेस प्रत्याशी न होने के कारण नोटा को 14.01 प्रतिशत वोट मिले हैं। इंदौर-5 के दो राउंड की गणना में तो लालवानी से ज्यादा नोटा को वोट मिले। कांग्रेस ने सीधे ताैर पर नोटा का प्रचार किया था, जिससे अल्पसंख्यक क्षेत्रों में ये स्थिति बनी। विधानसभा में 2013 में इसका उपयोग 1% से मामूली ऊपर था।
2023 में नोटा घटकर 0.72% रह गया। निगम चुनाव में और गिरावट आई और यह 0.50 फीसदी पर आ गया। इस बार इंदौर के कुल 15.62 वोट में से 2 लाख 18 हजार 674 मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया। बैलेट वोटिंग में भी 319 ने नोटा का उपयोग किया।
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