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ढाई हजार साल पुरानी इन गुफाओं में होंगे अद्भुत शिल्पकला के दर्शन

महाराष्ट्र भारत का वह राज्य है, जहां समुद्र तट भी है, ऊंचे-ऊंचे पर्वत भी हैं, सैकड़ों किलोमीटर का पठार भी है, घने जंगल भी हैं और पुरातात्विक-सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। इन्हीं धरोहरों में सबसे प्रमुख हैं अजंता की गुफाएं। अजंता की इन गुफाओं को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरीटेज साइट में भी स्थान मिला हुआ है।

मुंबई से 425 किमी और जलगांव से 60 किमी की दूरी पर स्थित हैं अजंता की गुफाएं। यहां कुल 30 गुफाएं हैं, जहां आपको बौद्ध धर्म से संबंधित चित्रकारी और मूर्तियां देखने को मिलेंगी। ये गुफाएं जिस स्थान पर हैं, वो दक्कन के पठार का एक हिस्सा है। यहां से वाघुर नदी यू-शेप में बहती है। नदी के किनारे एकदम सीधे और खड़े हैं। इन्हीं खड़े किनारों पर ढाई हजार साल पहले चट्टानों को काटकर गुफाओं का निर्माण किया गया। छैनी-हथौड़ों से काटकर बनाई गई ये गुफाएं इतनी बड़ी हैं कि इनमें हजारों लोग आ सकते हैं।

सभी गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। विभिन्न बौद्ध कथाओं और भगवान बुद्ध के जीवन तथा शिक्षाओं से संबंधित बातों को चित्रों और मूर्तियों के माध्यम से दर्शाया गया है। हजारों साल पुराने चित्र आज भी जीवंत हैं। कुछ गुफाओं में बौद्ध-मठ भी बनाए गए हैं। यहां बौद्ध भिक्षुओं के रहने के कमरे भी हैं, जहां उस समय वे ध्यान-साधना करते थे।

जलगांव-औरंगाबाद रोड पर अजिंठा गांव के पास अजिंठा लेणी प्रवेशद्वार पर आप अपनी गाड़ी या टैक्सी पार्क कर सकते हैं। पार्किंग से गुफाओं की दूरी 4 किमी है। आप या तो 4 किमी तक पैदल जा सकते हैं या यहां चलने वाली इलेक्ट्रिक बसों का लाभ उठा सकते हैं। ये बसें आपको टिकट काउंटर के पास छोड़ देंगी। भारतीयों के लिए 40 रुपए और विदेशी नागरिकों के लिए 600 रुपए का टिकट है। टिकट लेने के बाद आपको पैदल ही घूमना पड़ेगा। गुफा नंबर 1, 2, 4, 6, 10, 16, 17, 19 और 26 सबसे ज्यादा आकर्षक हैं। 30 गुफाओं में घूमना काफी थकानभरा होता है, सीढ़ियां भी चढ़नी-उतरनी होती हैं, लेकिन गुफाओं का वास्तुशिल्प और बाहर का प्राकृतिक परिवेश सारी थकान मिटा देता है। मानसून में एक बड़ा जलप्रपात भी बन जाता है, जो यहां आना साकार कर देता है।

एलोरा की गुफाएं

अजंता से 100 किमी दक्षिण-पश्चिम में एलोरा की गुफाएं स्थित हैं। ये गुफाएं औरंगाबाद (संभाजी नगर) के पास हैं और अजंता की तरह ही विश्व विरासत स्थल हैं। यहां मुख्यतः हिंदू मंदिर बने हैं और कुछ बौद्ध व जैन धर्म से संबंधित गुफाएं भी हैं। इनमें कैलाश गुफा तो वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। भगवान शिव को समर्पित यह पूरे संसार में सबसे बड़ा रॉक-कट मंदिर भी है। यहां 100 से भी ज्यादा गुफाएं हैं, लेकिन 34 गुफाएं ही आम लोगों के लिए खुली हैं।

लोणार लेक

अजंता से 150 किमी दूर लोणार लेक स्थित है। एक से डेढ़ किमी की गोलाई में फैली यह झील अत्यधिक विशिष्ट है। यह झील लाखों साल पहले किसी उल्कापिंड के धरती से टकराने के बाद बनी थी। लोणार लेक के पास अंबर लेक के नाम से एक छोटी झील और भी है, जिसे छोटा लोणार भी कहते हैं।

कैसे पहुंचें?

अजंता का नजदीकी रेलवे स्टेशन जलगांव है, जहां देश के कोने-कोने से ट्रेनें आती हैं। नजदीकी एयरपोर्ट 100 किमी दूर औरंगाबाद है। मुंबई, जलगांव और औरंगाबाद सभी स्थानों से टैक्सी आसानी से मिल जाती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भी अच्छी सुविधा उपलब्ध है।

कहां ठहरें?

अजंता के पास महाराष्ट्र पर्यटन का एक रेस्ट हाउस है। लेकिन ज्यादातर लोग औरंगाबाद या जलगांव से आना-जाना करते हैं। इन दोनों ही स्थानों पर हर बजट के होटल मिल जाते हैं।

कब जाएं?

यहां जाने का अच्छा समय जुलाई से फरवरी तक होता है। मानसून में यहां बारिश होती है तो मौसम अच्छा हो जाता है। चारों तरफ हरियाली हो जाती है और जलप्रपात भी बनने लगते हैं। सर्दियों में गुनगुनी सर्दी होती है।


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