मॉर्निंग व इवनिंग वाक के लिए सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले विक्रम विश्वविद्यालय परिसर को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की पहल शुरू की गई है। इसके लिए रविवार को वन विभाग ने एक दिन में एक साथ 5000 पौधे लगाए। इनमें खास यह है कि इनमें सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पौधे हैं, ताकि जब ये बड़े हो तो विक्रम के इस परिसर को एक नया नाम ऑक्सीजन की फैक्टरी के रूप में भी मिले। वन विभाग की पर्यावरण को बढ़ावा देने की दिशा में ये पहल है। चार दिन में पांच हजार पौधों के लिए क्षेत्र तैयार हुआ। सवा दो हेक्टेयर में चार ड्रील मशीनों की मदद से 50 से ज्यादा वनकर्मियों ने गड्ढे तैयार किए। इसके बाद रविवार को मुख्य संरक्षक वन एमआर बघेल, डीएफओ किरण बिसेन अमले के साथ जुटे व चार घंटे में पांच हजार पौधे रोपे। सांसद अनिल फिरोजिया मां के साथ आए थे व उन्होंने 101 पौधे लगाए। विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, निगम सभापति कलावती यादव, महापौर मुकेश टटवाल समेत विश्वद्यिालय परिवार ने भी यहां पौधे रोपे। वन विभाग के एसडीओ आफताब खान, रेंजर कैलाश ठाकुर, डिप्टी रेंजर अनिल सैन, जोगेंद्र जाटवा, वन संरक्षक रवींद्र सिंह, राकेश वाडिया, गोविंद राठौड़ इनकी देखरेख करेंगे। नीम-पीपल भरपूर ऑक्सीजन देते, इसलिए इन्हें ज्यादा रोपा विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में पुस्तकालय के समीप पांच हजार पौधों में वैसे तो फल, औषधि वाले पौधे भी शामिल हैं लेकिन सबसे ज्यादा नीम, पीपल के पौधे हैं। वन विभाग का मानना है कि सबसे ज्यादा सुबह व शाम को लोग इस क्षेत्र में घूमने के लिए आते हैं। विश्वविद्यालय यहां लोगों से ऑक्सीजन टैक्स भी लेता है, इसीलिए इसी सबसे ज्यादा ऑक्सीजन वाला क्षेत्र कह सके। इस दिशा में ये कदम अर्थात एक प्रयास है। जब ये पौधे बड़े होंगे तो ऑक्सीजन की फैक्टरी ही कहलाएंगे। वन विभाग करेगा इनका संरक्षण पांच हजार पौधों की देख-रेख दो साल तक वन विभाग द्वारा की जाएगी। जब ये बड़े होंगे तो उक्त क्षेत्र ऑक्सीजन की फैक्टरी कहा जा सकेगा, क्योंकि इस क्षेत्र में यहां सबसे ज्यादा ऑक्सीजन होगी। -किरण बिसेन, डीएफओ
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