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अंबानी से लेकर कर्ज़दार पिता तक, शादियों पर भारत के लोग इतना ख़र्च क्यों करते हैं?

 अनंत अंबानी,

पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में एक शादी और उससे संबंधित आयोजन की ख़ूब चर्चा हो रही है.

ये शादी भारत के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी है.

इस शादी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी से मीडिया आउटलेट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भरे हुए हैं.

इस शादी में शामिल होने वाली मशहूर हस्तियों और उनके डिजाइनर कपड़े और स्टाइलिश लुक की भी चर्चा हो रही है.

बॉलीवुड के सितारे, भारतीय क्रिकेट टीम के बड़े सितारे, शीर्ष उद्योगपति, कई देशों के प्रमुख नेताओं के अलावा पॉप आइकन जस्टिन बीबर जैसी हस्तियां मुंबई पहुंच चुकी हैं.

कई महीने से चल रहा है आयोजन

12 जुलाई को अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी हुई, लेकिन शादी को लेकर कई आयोजन पिछले कुछ महीने से चल रहे हैं. जिसमें होने वाले ख़र्चे को लेकर भी ख़ूब कयास लगाए जा रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की मुताबिक़, इस आयोजन पर कुछ हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च हो रहे हैं.

दरअसल, भारत में शादियाँ 'पारिवारिक उत्सव' हैं. इसमें परंपराएं भी हैं और भारी ख़र्च घर-घर की कहानी हैं.

भारतीय परिवार अपने यहां होने वाली शादी के जरिए दौलत, रुतबा और साख को समाज को दिखाने की कोशिश करते हैं.

यहां तक ​​कि दिखावे के लिए परिवार क़र्ज़ लेकर भी बड़ी रकम जुटाते हैं. हिंदू परिवार की शादियों में संगीत और हल्दी जैसी शादी की रस्में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती हैं.

वहीं मुस्लिम परिवार में होने वाले विवाहों में 'मेंहदी', 'निकाह' और 'वलीमा' जैसी रस्में शामिल हैं. ईसाई शादियों में सगाई, शादी और रिसेप्शन समारोह शामिल होते हैं.

यानी केवल अंबानी के घर की शादी ही नहीं बल्कि भारतीय समाज में हर शादी को शान का प्रतीक माना जाता है.

हर परिवार अपनी क्षमता के अनुसार शादी समारोह की योजना बनाता है, कोशिश यही होती है कि आयोजन भव्य और यादगार दिखे.

हर परिवार अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और सामाजिक दायरे में अपनी हैसियत दिखाने के लिए भी बढ़ चढ़कर ख़र्च करने में दिलचस्पी दिखाता है.

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    निवेश बैंकिंग और पूंजी बाज़ार फर्म जेफरीज ने शादियों पर होने वाले भारी ख़र्च की जानकारी दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में शादी समारोहों से जुड़ा बाज़ार करीब 10.7 लाख करोड़ रुपये का है.

    रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आम तौर पर भारतीय शिक्षा की तुलना में शादी पर दोगुना ख़र्च करते हैं. यह देश में खाद्य और किराना बाज़ार के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है.

    हालांकि ऐसा भी नहीं है शादियों पर केवल भारतीय ही ख़र्च करते हैं. दूसरे देशों में भी ऐसा चलन है. भारत में शादी का बाजार अमेरिका (5.8 लाख करोड़) से लगभग दोगुना है. हालांकि यह चीन के बाजार (14.1 लाख करोड़) से छोटा है.

    विवाह समारोहों की संख्या को देखते हुए भारत में हर साल 80 लाख से एक करोड़ तक विवाह समारोह होते हैं. जबकि चीन में यह आंकड़ा 70 से 80 लाख प्रति वर्ष और अमेरिका में 20-25 लाख है. यानी प्रति शादी के हिसाब से देखें तो चीन और अमेरिकी परिवार भारतीयों की तुलना में ज़्यादा ख़र्च करते हैं.

    लेकिन आंकड़ों पर गौर करें तो भारतीय विवाह समारोहों के दौरान परिवार पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ बहुत बड़ा होता है. जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में शादियों पर औसतन 12.5 लाख रुपये खर्च होते हैं. धूमधाम से होने वाली शादियों पर औसतन 20-30 लाख रुपए ख़र्च होते हैं.

    लेकिन एक शादी पर ख़र्च होने वाला औसत व्यय यानी 12.5 लाख रुपये, भारत की जीडीपी की प्रति व्यक्ति आय (2.4 लाख रुपये) का लगभग पांच गुना है. साथ ही एक भारतीय परिवार की औसत सालाना आय (4 लाख रुपये) की तुलना में यह तीन गुना से भी ज़्यादा है.

    दिलचस्प बात यह है कि भारत में प्री-प्राइमरी स्तर से स्नातक स्तर तक की शिक्षा की औसत लागत की तुलना में यह लागत दोगुनी है. इन्हीं आंकड़ों पर गौर करें तो अमेरिका में शादियों पर होने वाला ख़र्च वहां की शिक्षा पर होने वाले ख़र्च का आधा है.

    इसमें एक बात तो तय है कि ऐसी भव्य शादियाँ कम आय वाले परिवारों पर आर्थिक बोझ पैदा करती हैं.


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