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अनुशासन बड़ी बात नहीं, यह सिर्फ अपने काम को ठीक से करना है - सुधा मूर्ति

  • हाल ही में राज्यसभा में सुधा मूर्ति को ने एक भाषण दिया जो काफी चर्चा में रहा। अपने वक्तव्यों में वो उदाहरणों और कहानियों के जरिए बात कहती हैं, उनकी ऐसी ही प्रेरणादायक स्पीच...

जो आपकी चिंता करते हैं, वो आपसे बात करेंगे, कोई तीसरा आपको सिखाना नहीं चाहेगा। आपको अपने पैरेंट्स और टीचर को कम नहीं आंकना चाहिए। ये आपकी ड्यूटी है कि आप उनकी बातों को समझें। जो आप आज सीख सकते हैं, उसे बाद में नहीं सीखा जा सकता। पोर्टेडो नामक मेरा एक क्लासमेट हुआ करता था। वह बेहद प्रतिभाशाली था। सात बजे के कॉलेज में दस-ग्यारह बजे आता था। साल के अंत में केवल एक माह वो जल्दी आकर पढ़ाई करता और फर्स्ट डिवीजन में पास हो जाता था। मैं उसे रोज कॉलेज आने का कहती तो वो कहता- जिंदगी में एजुकेशन ही सबकुछ नहीं है, जिंदगी कनेक्शन पर चलती है, हमें कनेक्शन बनाने चाहिए जो आगे काम आएंगे। वक्त बीता, 30-35 साल बाद मैं एक लेक्चर देने के लिए मैं दुबई में थी। लेक्चर खत्म होने के बाद मुझे बताया गया कि कोई मेरा इंतजार कर रहा है। मैं उससे मिली तो उसने कहा- मैं पोर्टेडो हूं! ग्रे बाल, वजन बढ़ गया था... मैं वाकई उसे पहचान नहीं पाई थी। मैं उससे गर्मजोशी से मिली। लेकिन उसने कहा- मैं केवल तुमसे एक बात कहने आया हूं। मैं अक्सर कॉलेज में क्लास बंक करता था। दरअसल, क्लास बंक करके मैंने जॉब जॉइन की थी। कुछ समय बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरे बॉस और साथियों को इस बात का अहसास है कि मुझे ज्यादा नॉलेज नहीं है। जैसे ही साथियों को यह बात पता लगती है, फिर वो आपकी इज्जत नहीं करते। जब बॉस को इसका अहसास हो जाता है तो वो नौकरी से निकाल देता है। उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा- सुधा... मैं तुम्हें यह बताने आया था कि कॉलेज के दिनों में मैं तुम्हारा मजाक बनाया करता था क्योंकि तुम पूरे वक्त पढ़ाई करती थीं। मुझे अहसास है कि तुम्हारी बात ना मानकर मैंने अपनी जिंदगी व्यर्थ कर दी। अनुशासन के साथ स्कूल और कॉलेज में जिंदगी नहीं जी तो आगे चलकर बड़ी कीमत चुकाना होगी। अनुशासन कोई बड़ा काम नहीं है, सिर्फ अपने काम को ठीक से करना है। यही जिंदगी में आपकी लंबे समय तक मदद देगा। मैं नहीं चाहती कि आप भी पोर्टेडो बनें और काफी जीवन निकल जाने के बाद अफसोस करें। जिंदगी में कोई शॉर्टकट नहीं होता। सीधा और सच्चा रास्ता है- खूब मेहनत कीजिए।

जीवन में सिवाय ज्ञान के कुछ स्थायी नहीं
जीवन में आपके पास कुछ भी स्थायी तौर पर नहीं रहने वाला है। ज्ञान तो ऐसा है जो बांटने से और बढ़ता है। महाभारत में किसी ने अर्जुन से पूछा कि तुम इतने सुंदर हो, तुम्हारी पत्नी भी बेहद सुदर्शन हैं, तुम राजकुमार हो... फिर तुम अपने गुरु द्रोणाचार्य की इतनी चिंता क्यों करते हो? अर्जुन का जवाब था- उम्र के साथ सुंदरता ढल जाएगी, राज-पाट छिन सकता है, सोना-चांदी तो कोई चुरा भी सकता है... सिर्फ ज्ञान ही है, जो इंसान का साथ कभी नहीं छोड़ता है। इसलिए हमें हमेशा नई चीजें सीखने और ज्ञान पाने पर ही फोकस करना चाहिए।
(अपने एक वक्तव्य में शिक्षिका और लेखिका सुधा मूर्ति)

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