वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी 3.0 का पहला बजट पेश कर दिया है. इस बार के बजट में कई खास बातें देखने को मिली. एक तरफ सरकार ने बजट में मिडिल क्लास, युवा, किसान, छोटे उद्योग और महिलाओं को कुछ ना कुछ देने की कोशिश की है, तो दूसरी तरफ अपने सहयोगी दलों को साधने का राजनीतिक कौशल भी दिखाया है. आखिर कैसा है निर्मला सीतारमण का ये 7वां बजट...
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उनके करीबी लोग अक्सर ‘निर्मला ताई’ कहकर भी संबोधित करते हैं. ‘ताई’ यानी ‘बड़ी बहन’ की तरह ही वित्त मंत्री ने इस बार बजट में हर किसी का ख्याल भी रखा है, तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स से लेकर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर सख्ती भी दिखाई है. चलिए एक नजर में समझते हैं कि क्या है इस बजट में…
सबसे पहले बात मिडिल क्लास की
मिडिल क्लास, देश में इनकम टैक्स से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला तबका है. इस तबके का खास ख्याल रखते हुए निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए कर दिया. इस टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपए तक की इनकम पर पहले से ही टैक्स रिबेट मिलती थी और 50,000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ इफेक्टिव टैक्स-फ्री इनकम 7.5 लाख रुपए हो जाती थी, जो अब 7.75 लाख रुपए होगी.
इतना ही नहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम की टैक्स स्लैब्स को भी सिंपलीफाई किया. इसकी स्लैब्स में बदलाव की टेबल नीचे दी गई है. हालांकि ओल्ड रिजीम टैक्स को सरकार ने छुआ भी नहीं है, जो कहीं ना कहीं इस बात का संकेत है कि सरकार बचे हुए 30 प्रतिशत टैक्सपेयर्स को भी नई रिजीम में शिफ्ट करना चाहती है.
तना ही नहीं सरकार ने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स को बढ़ाया है, जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की व्यवस्था को सिंपल बनाते हुए इस पर टैक्स की दर को 12.5 प्रतिशत के फ्लैट रेट पर डाला है. इससे सरकार ने संकेत दिया है कि लोगों को लॉन्ग टर्म में सेविंग के लिए म्यूचुअल फंड जैसे इक्विटी लिंक्ड स्कीम्स पर ध्यान देना चाहिए.
महिलाओं के हिस्से में आई ये सौगात
महिला उन्मुख समाज और ग्रोथ को भी बजट में रेखांकित किया गया है. इसलिए बजट में महिलाओं के लिए कुछ खास ऐलान किए गए हैं. वर्क फोर्स में महिलाओं की सख्या बढ़ाने के लिए सरकार औद्योगिक सहयोग से महिला छात्रावास और क्रेचों की स्थापना करेगी. महिलाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों के उद्यमों तैयार होने वाले प्रोडक्ट्स की बाजार तक पहुंच बढ़ाएगी.
युवाओं और रोजगार का ख्याल
लंबे समय से मोदी सरकार को बेरोजगारी के मुद्दे से जूझना पड़ रहा है. लोकसभा चुनाव के परिणामों में इसकी तपिश भी महसूस की गई. इसलिए निर्मला सीतारमण ने इस बार बजट में युवा और रोजगार दोनों पर विशेष ध्यान दिया है. इसके लिए सरकार ने 3 नई स्कीम लॉन्च की हैं. वहीं कौशल विकास यानी स्किल डेवलपमेंट पर भी फोकस किया है.
बजट प्रस्तावों के मुताबिक पहली नौकरी करने वाले युवाओं को सरकार एक महीने की सैलरी 3 किस्तों में देगी. इसकी मैक्सिमम लिमिट 15,000 रुपए है, यानी ईपीएफओ में पहली बार रजिस्टर होने वाले युवा को सरकार की तरफ से 5,000-5,000 रुपए की 3 किस्तों में आर्थिक सहायता दी जाएगी.
इतना ही नहीं मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सबसे ज्यादा रोजगार सृजन होता है. इसलिए सरकार इस सेक्टर में रोजगार पाने वाले नए कर्मचारियों और उनके एम्प्लॉयर्स दोनों को सीधे लाभ देगी. ये लाभ उन्हें ईपीएफओ में योगदान के मुताबिक शुरुआती 4 साल के लिए दिया जाएगा.
वहीं देशभर में नौकरियां बढ़ें, इसके लिए सरकार एम्प्लॉयर्स को 2 साल तक हर महीने 3,000 रुपए की मदद मुहैया कराएगी. ये मदद नए कर्मचारी के ईपीएफओ में एम्प्लॉयर्स की ओर से किए जाने वाले योगदान के तौर पर होगी.
दिखा सहयोगियों को साधने का राजनीतिक कौशल
मौजूदा एनडीए सरकार के दो प्रमुख घटक दल जदयू और टीडीपी हैं. इन दोनों को साधने का कौशल भी बजट में दिखा. सरकार ने आंध्र प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत 15,000 करोड़ रुपए की सहायता देने का प्रावधान किया है. वहीं विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र और हैदराबाद बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में औद्योगिक केन्द्र को विकसित करने की बात कही है.
इसी तरह बिहार के लिए सरकार ने 26,000 करोड़ रुपए की सड़क परियोजनाओं का ऐलान किया. वहीं विष्णुपद मंदिर कॉरिडोर, महाबोधि मंदिर कॉरिडोर, नालंदा और राजगीर को पर्यटन उन्मुख बनाने की योजनाओं की भी घोषणा की. इस तरह बिहार को कुल 60,000 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज बजट में मिला है.
खजाने का भी रखा पूरा हिसाब-किताब
इसके अलावा सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर के बजट को अंतरिम बजट के अनुमान के मुताबिक रखा है. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार ने कुल 48.21 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया है. देश में महंगाई अपने लक्ष्य के मुताबिक 4 प्रतिशत के स्तर पर आने की ओर अग्रसर है. इसलिए सरकार ने अगले साल तक देश में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत के नीचे लाने का लक्ष्य रखा है. अभी ये 4.9 प्रतिशत है.
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