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जानें मौन कब बन जाता है साइलेंट-ट्रीटमेंट, जिससे दूर हो सकते हैं आपके अपने

  • लोग ग़ुस्से में आकर किसी को कुछ भी बोल देते हैं जिससे दिल दुख जाता है। तीखे, कड़वे, ज़हर बुझे बोल चुभन देते हैं, लेकिन उतनी ही तकलीफ़ कई बार किसी का ख़ामोश रहना भी दे जाता है।
  • बोल ही नहीं, अबोला भी दुखद है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं यहां जानिए…

किसी अपने की बात दिल को बुरी लग जाए या फिर कोई ज़्यादा बोल रहा होता है, तो कुछ लोग अक्सर चुप हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से सब ठीक हो जाएगा। कई बार ये काम भी करता है। हर बार रूठने, ग़ुस्सा होने या फिर असहमति जताने के लिए चुप हो जाना साइलेंट ट्रीटमेंट कहलाता है। जानिए कि क्या होता है साइलेंट ट्रीटमेंट, क्या हैं इसके कारण और प्रभाव। इसके अलावा जानिए कि रिश्ते पर कैसे पड़ता है इसका असर।

क्या है यह अबोला ?

साइलेंट ट्रीटमेंट, जिसे मौन उपचार भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे से बात करना बंद कर देता है। यह स्थिति सिर्फ़ किसी ख़ास रिश्ते में नहीं होती बल्कि हर रिश्ते में देखने को मिल सकती है, चाहे फिर वो पति-पत्नी हों, भाई-बहन हों या फिर मित्र आदि और इसके कई कारण भी हो सकते हैं।

मौन की स्थिति इसलिए उत्पन्न होती है

- कई बार लोग भावनात्मक रूप से इतने संवेदनशील हो जाते हैं कि वे स्थिति का सामना करने के बजाय संवाद से बचना पसंद करते हैं। फिर धीरे-धीरे वे इसे अपनी आदत में शामिल कर लेते हैं।

- किसी को लगता है चुप रहकर समस्या का समाधान निकल आएगा या दूसरे व्यक्ति को अपनी ग़लती का एहसास हो जाएगा। सो चुप रहते हैं।

- मौन असंतोष या नाराज़गी को ज़ाहिर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

- किसी अपने से बात करते हुए अगर व्यक्ति को लगता है कि उसके पक्ष की बात नहीं सुनी जा रही है या कुछ बोले, तो दोषारोपण शुरू हो जाएगा, तो भी वे मौन की स्थिति अपना लेते हैं।

रिश्तों पर चुप्पी का असर

चुप्पी बड़ी समस्या को रोकते हुए थोड़े समय के लिए रहे, तो इससे रिश्ते संवरते हैं लेकिन उलझनें बनी रहीं, तो गांठ पड़ सकती है...

बढ़ेगी भावनात्मक दूरी...

सामने वाले को लग सकता है कि उसके कुछ भी कहने का आप पर कोई असर ही नहीं हो रहा है या फिर आप उसकी बात को सुन ही नहीं रहे हैं। संवेदनाओं के अभाव से रिश्ते में धीरे-धीरे दूरियां पैदा हो सकती हैं।

संवाद की होगी कमी...

चुप्पी का मतलब ही होता है संवाद में कमी आ जाना। और जब किसी रिश्ते में संवाद कम हो जाता है तो फिर वहां समस्याओं के समाधान खोजना बहुत मुश्किल हो जाता है।

अवसाद करेगा घर...

मौन रहने वाला व्यक्ति भी अवसाद और तनाव की स्थिति में जा सकता है और मौन झेलने वाला भी। शोध के मुताबिक़ बार-बार अनदेखी झेलने से आत्मसम्मान और आत्मविश्वास कम हो सकता है, ख़ासकर जब किसी बेहद अपने के द्वारा किया जाए।

मुश्किल नहीं है मौन साधने से बचना

  • किसी भी समस्या का समाधान संवाद से ही हो सकता है। इसलिए, संवाद को प्राथमिकता दें। अपनी भावनाओं और विचारों को अपने साथी के साथ खुले तौर पर साझा करें।
  • मौन उपचार के बजाय, साथी की भावनाओं और दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें। हो सकता है वे किसी बात से परेशान हों इसलिए उन्हें थोड़ी सहानुभूति दिखाएं। ऐसा करने से आपके बीच विश्वास मज़बूत होगा।
  • अगर अपने साथी के व्यवहार से आपको समस्या हो रही है, तो उन पर सीधे आरोप लगाने के बजाय उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करें।
  • समय दें क्योंकि एक-दूसरे को समय देना कभी-कभी ज़रूरी भी होता है। लेकिन यह समय सिर्फ़ स्थिति को ठंडा करने के लिए होना चाहिए, ना कि साइलेंट ट्रीटमेंट के रूप में।
  • अगर मौन उपचार की समस्या बहुत बढ़ गई है, तो आप किसी काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद भी ले सकते हैं।

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