मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर में तीन दिवसीय सामुदायिक मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर के प्रशासनिक न्यायाधिपति श्री विवेक रूसिया के निर्देशन में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर में 22 सितम्बर से 24 सितम्बर 2024 तक तीन दिवसीय सामुदायिक मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर के न्यायाधिपति श्री विजय कुमार शुक्ला द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर 22 सितम्बर को न्यायालय के कान्फ्रेंस हॉल में तीन दिवसीय सामुदायिक मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
कार्यक्रम के प्रथम दिवस में न्यायाधिपति श्री विजय कुमार शुक्ला द्वारा संस्कृत के एक श्लोक समः विचारः विवादं विद्यं समं ही विवादस्थ दूरस्थ समं विवादे सुखदे खयोमद समं विनं विवादः न कार्यः के माध्यम से मध्यस्थता शब्द की मूल भावना को व्यक्त किया गया। उनके द्वारा प्रतिभागीगण को अपने समाज में मुखिया की तरह कार्य करने हेतु कहा गया एवं प्रशिक्षण पश्चात समाज में मध्यस्थता की भूमिका का अच्छे से निर्वहन करने हेतु शुभकामनाएं प्रेषित की गई ।
जिला उपभोक्ता फोरम भोपाल की अध्यक्ष एवं ट्रेनर श्रीमती गिरिबाला सिंह तथा पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. मोहम्मद शमीम द्वारा पी.पी.टी. के माध्यम से प्रतिभागीगण को मध्यस्थता अध्ययन के विषयों के संबंध जानकारी प्रदाय की गई एवं कृत्रिम अभ्यास-1 (राबर्ट विरुद्ध अरुण) का अभ्यास कराया गया।
कार्यक्रम के दूसरे दिवस में डॉ. मोहम्मद शमीम एवं श्रीमती गिरिबाला सिंह द्वारा संचार कौशल के संबंध में प्रतिभागीगण को जानकारी प्रदाय की गई तथा कृत्रिम अभ्यास-(मोहन साफ्ट ड्रिंक का केस) का अभ्यास कराया गया। मनोवैज्ञानिक, मीडिएटर तथा समाजसेविका श्रीमती पारुल वर्मा द्वारा मध्यस्थता हेतु मनोवैज्ञानिक पहलुओं के संबंध में प्रतिभागीगण को जानकारी प्रदाय की गई।
कार्यक्रम के तीसरे दिवस में डॉ. मोहम्मद शमीम द्वारा समझौता अनुबंध लेखन का अभ्यास, कम्युनिटी मीडिएटर द्वारा ध्यान में रखे जाने योग्य नैतिक सिद्धान्त आदि विषयों के संबंध में पी.पी.टी. के माध्यम से जानकारी प्रदाय की गई। साथ ही प्रतिभागियों के सवाल-जवाब एवं सुझाव प्राप्त किये गये। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इन्दौर के सचिव श्री आसिफ अहमद अब्बासी द्वारा प्री-लिटिगेशन के संबंध में जानकारी प्रदाय की गई। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल माथुर द्वारा मध्यस्थता में प्रयुक्त होने वाले मानसिक क्रियाकलापों के संबंध में जानकारी प्रदाय की गई ।
तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रशासनिक न्यायाधिपति श्री विवेक रूसिया ने कहा कि सामुदायिक मध्यस्थता संबंधी प्रयास दूसरे शहरों में भी किया गया, लेकिन उतना सफल नहीं हो पाया या उसकी गति बहुत धीमी है, परंतु इस मामले में इन्दौर सभी से अलग है। कहा कि कोई भी राजा कितना भी बलशाली हो, उसकी सेना कितनी भी अच्छी हो, यदि उसका सेनापति अच्छा नहीं है तो कोई भी जंग नहीं जीता जा सकता। उन्होंने कहा कि डॉ. मोहम्मद शमीम एक सेनापति के रूप में है जिनके लगन और प्रयास ने आप सभी को जोड़े रखा। उनके द्वारा मीडिएशन की बारीकी के संबंध में बताया गया कि मीडिएशन के लिए जब मामला आता है तो सबसे पहले यह तय करें कि मामला मीडिएशन से सेटल हो सकता है या नहीं। यदि मीडिएशन से सेटल नहीं हो सकता है तो उसमें अपनी ऊर्जा एवं समय का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मीडिएशन स्वेच्छा से होता है, इसके लिए दबाव डालने की आवश्यकता नहीं है। मीडिएशन कठिन और मेहनत का काम है। उन्होंने कहा कि मीडिएशन से डिसाइड किया गया एक मामला, 10 मामले मेरिट से डिसाइड करने के बराबर है।
कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सहायता अधिकारी अधिकारी श्री मिथिलेश डेहरिया द्वारा किया गया। कार्यक्रम का धन्यवाद प्रस्ताव प्रिंसिपल रजिस्ट्रार/सचिव उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इन्दौर श्री अनूप कुमार त्रिपाठी द्वारा किया गया। तीन दिवसीय कार्यक्रम में ओ.एस.डी/रजिस्ट्रार श्री नवीन पाराशर, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री आसिफ अहमद अब्बासी, उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ इन्दौर के अध्यक्ष श्री रितेश ईनाणी, सचिव उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ श्री भुवन गौतम, उपाध्यक्ष उच्च न्यायालय अभिभाषक संघ श्री यषपाल राठौर एवं बार कार्यकारिणी के सदस्य श्री प्रभात पाण्डेय, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री मनीष कौशिक तथा श्री मिथिलेश डेहरिया एवं विधिक सेवा समिति के कर्मचारी के साथ विभिन्न समुदायों के प्रबुद्धजन सम्मिलित थे।
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