नो-कार डे के सुखद परिणाम सामने आए हैं। 22 सितंबर को नो-कार डे पर शहर के विभिन्न चौराहों पर 25 से 66 फीसदी तक कम कारें गुजरीं। पूरे शहर में यह संख्या 30 फीसदी से ज्यादा रही। प्रदूषण बोर्ड ने 21 सितंबर की तुलना में नो-कार डे का प्रभाव देखा तो 22 तारीख को एक्यूआई में 18 फीसदी व 23 तारीख को 58 फीसदी की कमी देखी गई। प्रदूषण विशेषज्ञों की मानें तो सबसे खतरनाक पीएम-2.5 की मात्रा में भी दोनों दिन 8 से 10 माइक्रोग्राम कमी रही।
शहर में 6 अलग-अलग स्थानों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम आबो हवा में प्रदूषक तत्वों की स्थिति का ऑनलाइन मापन कर रहा है। इसमें पीएम 2.5, पीएम 10, गैसीय उत्सर्जन का मापन देखा जाता है। बोर्ड ने शनिवार, रविवार और सोमवार के आंकड़ों का अध्ययन किया तो अच्छा असर देखा गया।
बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी और वैज्ञानिक संजय जैन के अनुसार शनिवार की तुलना में रविवार और सोमवार को अधिकांश क्षेत्रों में ग्रीन डे रहा। शनिवार की तुलना में रविवार को मेघदूत पार्क पर 11, रेसीडेंसी क्षेत्र में 19, रीगल क्षेत्र में 27 और रीजनल पार्क की ओर एक्यूआई में 31 फीसदी की कमी रही। सोमवार को भी यह गिरावट जारी रही। नो-कार डे पर बीआरटीएस पर कारें 30 फीसदी कम चली थीं। इससे दिनभर ट्रैफिक जाम नहीं हुआ।
पीएम 2.5 कण 5 ग्राम तक ले आएं तो औसत उम्र 3 वर्ष तक बढ़ जाएगी बोर्ड का कहना है, अब पर्यावरण वैज्ञानिक एक्यूएलआई यानी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के तौर पर देखते हैं। इसमें जीवन प्रत्याशा यानी जीने की उम्र पर प्रदूषण के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स का अध्ययन जारी किया है। उसके अनुसार मप्र में पीएम-2.5 की मात्रा का औसत 35.9 है।
इसे तय मानक 5 ग्राम तक ले आएं तो नागरिकों की औसत आयु में 3 वर्ष की बढ़ोतरी की जा सकती है। अध्ययन के अनुसार वर्तमान में प्रदूषक तत्वों के कारण एक भारतीय की औसत आयु 3.6 वर्ष कम हो गई है। मप्र भी इससे अछूता नहीं है।
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