शहर के सबसे पुराने औद्योगिक क्षेत्र सांवेर रोड, पोलोग्राउंड, लक्ष्मीबाई नगर कई तरह की मुसीबतों से घिरे हैं। यहां पानी, बिजली की परेशानी के साथ अतिक्रमण भी बड़ा मुद्दा है। जबकि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रम विभाग की बैठक में इंडस्ट्रियल एरिया को झुग्गी मुक्त करने की बात कही। अफसरों को नए औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक आवास बनाने और मौजूदा क्षेत्रों में रैन बसेरे बनाने के निर्देश दिए, ताकि औद्योगिक क्षेत्रों में पनप रहीं झुग्गियों पर नियंत्रण में मदद मिल सके।
सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में हर बारिश में पानी भरने से फैक्टरियों में लाखों रुपए का नुकसान होता है। यहां पानी की निकासी के लिए न ड्रेनेज है और न ही स्टॉर्म वाटर लाइनें डाली गई हैं। पिछले दिनों सेक्टर बी, डी और ई में पानी भरने से आठ दिन तक फैक्टरियां बंद रखना पड़ी थीं।
कुछ इसी तरह के हालात पोलोग्राउंड और लक्ष्मीबाई नगर में बनते हैं। जबकि इन क्षेत्रों के 3500 से ज्यादा उद्योग हर साल नगर निगम को 15 करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रॉपर्टी टैक्स व 2.5 रुपए मीटर मेंटेनेंस शुल्क दे रहे हैं। गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए 20 से 25 पैसे प्रति लीटर की राशि चुका रहे हैं। उद्योगपतियों ने इन मुद्दों को महापौर पुष्यमित्र भार्गव के सामने उठाया था। इसके बाद उन्होंने एक कमेटी बनाकर समाधान करने की बात कही थी।
सुविधाएं भी नहीं मिल रहीं, उद्योगों के आसपास इस तरह से हो रहे कब्जे
वर्तमान में ये क्षेत्र चारों ओर से आवासीय क्षेत्रों से घिर गए हैं। इसके अलावा इनके आसपास झुग्गियों का कब्जा होता जा रहा है। ऐसे में उद्योगों को डर है कि इन क्षेत्रों में विकास नहीं होने से सरकार कहीं उन्हें ही बाहर करने की तैयारी नहीं कर ले, क्योंकि इनसे फैलने वाले प्रदूषण, गंदगी और भारी वाहनों की आवाजाही से भविष्य में परेशानी बढ़ेगी। उद्योगपतियों का कहना है कि इन क्षेत्रों को अतिक्रमण मुक्त करने के साथ व्यवस्थित कर देंगे तो भविष्य में इस तरह की समस्याएं नहीं रहेंगी।
इन समस्याओं को करें हल
- सेक्टर एफ में कनेक्टिविटी की समस्या है। यहां एक अंडरपास बनना चाहिए।
- लक्ष्मीबाई स्टेशन के सामने की सड़क सुधार दें और पोलोग्राउंड की सड़कें ठीक कर दें।
- बाणगंगा रेलवे क्रॉसिंग की समस्या का निराकरण करें। इसके लिए पोलोग्राउंड वाला ब्रिज बनाएं।
- बारिश के दौरान बिजली की लाइनों पर फैल गई हरियाली को काट दें और डीपी ठीक कर दें तो ट्रिपिंग नहीं होगी।
- बंद पड़ी फैक्टरियों के प्लॉटों का पुनराबंटन करें। इससे संपत्ति कर भी मिलेगा। असामाजिक तत्वों को जगह नहीं रहेगी।
- पानी, स्ट्रीट लाइट और ड्रेनेज जैसी समस्याएं अब तक बनी हुई हैं।
ये समस्याएं 55 साल से हैं... स्थापना से आज तक औद्योगिक क्षेत्रों में पीने का पानी व स्ट्रीट लाइट की सुविधा नहीं मिल पाई
पीने का पानी- 1970 में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हुआ, तब से पीने के पानी की समस्या यथावत बनी हुई है। पूर्व में यहां पानी की टंकी थी, वह खराब हो गई। इसकी जगह नर्मदा की टंकी बनाने और पूरे क्षेत्र में पाइप लाइनें डालने की बात हुई, लेकिन अब सुविधा अब तक नहीं मिली।
बिजली ट्रिपिंग- सांवेर रोड पर बॉयलर आधारित इंजीनियरिंग और प्लास्टिक उद्योग हैं। इनमें बिजली ट्रिपिंग की समस्या लगातार बनी रहती है। इसकी वजह बिजली की लाइनों का मेंटेनेंस नहीं होना है। बिजली कंपनी ने मीटरिंग आधुनिक कर बिलिंग सुधार ली, पर वोल्टेज जैसी समस्या हल नहीं कर रहे हैं।
स्टॉर्म वाटर लाइन और ड्रेनेज- औद्योगिक क्षेत्रों का गंदा पानी नालों के जरिए कान्ह नदी में जा रहा है। पूरे क्षेत्र में ड्रेनेज और स्टॉर्म वाटर लाइन नहीं डाली गई। इससे बारिश में बहुत परेशानी होती है। वहीं गंदे पानी की निकासी के लिए तीन साल पहले ईटीपी बनाया। इस तक पानी पहुंचाने के लिए चार इंच की पाइप लाइन डाली गई, जो चोक होकर खराब हो गई।
स्ट्रीट लाइट- यहां स्ट्रीट लाइट की परेशानी भी बड़ी है। रात के वक्त उद्योग अंधेरे में रहते हैं। दो साल पहले ए सेक्टर में मेंटेनेंस से एआईएमपी ने स्ट्रीट लाइट लगवाई। अब सी में लगाने की शुरुआत की है।
समाधान - प्रमोद डफरिया, पूर्व अध्यक्ष एआईएमपी
निगम व प्रशासन सख्ती करे
- नगर निगम प्रॉपर्टी टैक्स में एक निश्चित राशि खर्च करे तो औद्योगिक क्षेत्रों की समस्याएं हल हो जाएंगी।
- निगम, पुलिस-प्रशासन को अतिक्रमण सख्ती से हटाना चाहिए, क्योंकि इससे पूरे क्षेत्र में अवैध गतिविधियां बढ़ रही हैं
- प्रदूषण को लेकर सख्ती की जा रही है, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ा रहे हैं। ईटीपी बना दिया, पानी भेजने के लिए 20 पैसे प्रति लीटर खर्च करना पड़ता है। इसके लिए प्रॉपर लाइनें डाली जाएं। सीएनजी की व्यवस्था करें।
शिकायतें मिली हैं, कार्रवाई करेंगे
^कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है, इंडस्ट्रियल एरिया का विकास प्रशासन की प्राथमिकता में है। सांवेर रोड और अन्य क्षेत्रों में अतिक्रमण की शिकायतें मिल रही हैं। जल्द ही इनको चिह्नित कर कार्रवाई करेंगे।
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