मन, वचन और काया के सरल होने का नाम आर्जव धर्म है। बच्चे बहुत सहज होते हैं उनके पास आर्जव धर्म रहता है किंतु बड़ों के पास नहीं। लोगों में ऐसी वक्रता आ गई कि भाई का ही सब कुछ हड़प लेते हैं। उनकी नजर पास में झोपड़ी में रहने वाले की जमीन पर भी रहती है। ऊपर से बहुत मृदु पना जताते हैं, किंतु मन में कुटिलता रहती है। आपने भी सामने वाले को विश्वास में लिया होगा और बाद में उससे विश्वासघात किया होगा। ये बात मंगलवार को छत्रपति नगर के दलाल बाग में मुनि विनम्र सागर महाराज ने कही।
उन्होंने कहा - पहले आपके मन, वचन, काया की भाषा एक थी, प्रवृत्ति एक होती थी। एक उम्र के बाद आप में मायाचारी आ गई, कुटिलता आ गई। अब हम डिप्लोमेटिक हो गए। व्यक्ति सोचता है मेरे पिताजी के पास बहुत कुछ है, मेरे भाई के पास बहुत कुछ है, मैं सोचता था पिताजी मेरे है, भाई मेरा है, लेकिन मेरे साथ रंचक दगा हो गया। बड़ी उम्र में दगा हो जाए तो आदमी टूट जाता है। वैसे जैनी किसी के यहां नौकरी नहीं करता, लेकिन ये सब होने के बाद उसे मजबूर होकर नौकरी करना पड़ता है। हम यह नहीं सोचते कि अपनों को ठगने से क्या मिलेगा ?
मुनिश्री ने कहा - रंचक दगा दो कारणों से होता है एक है...लालच और दूसरा है...डर। दग़ाबाजी करने का तीसरा कोई और कारण नहीं होता। एक के दिमाग में लालच बड़ा और दूसरे के दिमाग में डर बढ़ गया, इनके बीच में रंचक दगा आ गया। आज वाणी और व्यवहार की सरलता दिखाई देती है, लेकिन मन की नहीं। आज हमें गुरु की बात पर भी विश्वास नहीं होता। साधु किसी के साथ रंचक दगा क्यों करेगा ? साधु की हर बात मानी जा सकती है। दान देने से केवल लालच या डर रोकता है। आर्जव धर्म के दिन भावनात्मक रूप से किसी को धोखा मत देना। दो चीजों से सरलता नष्ट होती है एक है लालच, दूसरा है डर। साधु के साथ कभी भावनात्मक छल मत करना। आज संकल्प करो कि हम तीन लोगों से दगा नहीं करेंगे 1. देव, शास्त्र, गुरु से दगा नहीं करेंगे। 2. अपने परिवार के लोगों से दगा नहीं करेंगे। 3. अपने आप से दगा नहीं करेंगे व अपने आप से झूठ नहीं बोलेंगे।
समाज के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया सुबह गुरुदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के बाद गुरुदेव की आठ द्रव्यों से सभी शिविरार्थियों ने पूजन की। काला परिवार ने अर्घ समर्पित किये। सुबह 5 बजे से ही मांगलिक क्रियाएं शुरू हो गई थी। दोपहर 2.15 बजे से तत्वार्थ - सूत्र का वाचन हुआ। रात 7 बजे से संगीतमय आरती हुई। इस अवसर पर सचिन जैन, राकेश सिंघई चेतक, मनीष नायक,सतीश डबडेरा, सतीश जैन, आनंद जैन,कमल अग्रवाल, अमित जैन, शिरीष अजमेरा , भूपेंद्र जैन,आलोक बंडा, प्रदीप स्टील, रितेश जैन, सुधीर जैन के साथ ही समाजजन मौजूद थे। पूज्य मुनि निस्वार्थ सागर, निसर्ग सागर एवं क्षुल्लक हीरक सागर भी मंच पर विराजित थे। आचार्य श्री जी की पूजन के बाद सुबह 9 बजे से मुनि श्री जी के प्रवचन, दलाल बाग में ही हुए। धर्म सभा का संचालन ब्रह्मचारी मनोज भैया ने किया।
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