मानसिक स्वास्थ्य (मेंटल हेल्थ) से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए प्रकृति की शरण में जाना कारगर साबित हो रहा है। इंग्लैंड में यह प्रयोग सरकार के सहयोग से 8,000 लोगों पर किया गया। ये लोग किसी न किसी तरह की मानसिक परेशानियों से जूझ रहे थे।
इन सभी को इलाज में कोई दवा देने के बजाय प्रकृति के बीच जाकर सैर करने, सामुदायिक बागवानी, वृक्षारोपण और जंगल के तालाब में तैराकी को कहा गया।
बेहतर स्वास्थ्य के लिए इतनी संख्या में एक साथ लोगों को जोड़ने का यह दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रयोग था। यह बेहद सफल रहा। प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों में खुशियों का स्तर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा मिला। चिंताओं का स्तर तेजी से घटा।
रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट में हर व्यक्ति पर औसतन 55 हजार रुपए का खर्च आया। मेंटल हेल्थ के इलाज पर होने वाली बड़ी राशि की तुलना में यह खर्च बेहद कम है। 2020 से अब तक इस तरह के सात ग्रीन एडवाइज (हरित सलाह) के पायलट प्रोजेक्ट हो चुके हैं।
इस स्कीम की रिपोर्ट लिखने वाली एक्सेटर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर रूथ गारसाइड कहती हैं, ‘हमने पाया कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए ग्रीन सोशल प्रेस्क्राइबिंग या हरित सलाह काफी मददगार साबित हुई। लेकिन यह बस शुरुआत है। अब बड़ी संख्या में लोग इस प्रोजेक्ट से जुड़ना चाहते हैं।’
प्रोजेक्ट से जुड़कर स्वास्थ्य लाभ लेने वाले एक व्यक्ति ने कहा, इसका हिस्सा बनने के बाद मेरी खुशी बढ़ी। मन शांत हुआ। मुझे लग रहा है कि अब मेरे लिए जीवन की सार्थकता में इजाफा हुआ है। यह मेरे लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं।
प्रोजेक्ट का हिस्सा बना एक अन्य व्यक्ति मानसिक अवसाद से जूझ रहा था। उसने इसके फायदे पर कहा कि प्रकृति से जुड़ना दवा लेने से कहीं बेहतर है। काउंसलिंग भी मुझे इतने बेहतर नतीजे नहीं दे सकती थी।
डॉ. मेरियन स्टेनर कहती हैं कि लोगों ने प्रकृति से जुड़ने पर एक अद्भुत आनंद अनुभव किया। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की कोई भी समस्या होने पर यदि हम प्रकृति की निकटता में जाते हैं तो लाभ मिलते हैं।
स्कीम का उद्देश्य अब ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना है। यह प्रोजेक्ट इंग्लैंड में होने वाले स्वास्थ्य खर्च की भारी बचत कर सकता है। साथ ही लोगों का डायबिटीज, ब्लडप्रेशर और डिप्रेशन जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से काफी हद तक बचाव कर सकता है।
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