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इंदौर में दिगंबर जैन समाज पर्यूषण पर्व:कांच मंदिर पर आचार्य विप्रणत सागर जी महाराज के सान्निध्य में मना सामूहिक क्षमा वाणी पर्व

दिगंबर जैन समाज ने 18 सितंबर को कांच मंदिर प्रांगण पर सामूहिक क्षमा वाणी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। बुधवार को शाम 4:30 बजे से क्षमा वाणी कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। यहां पधारे आचार्य विप्रणत सागर जी महाराज ने कहा कि क्षमावाणी हृदय की विशालता का पर्व है, कषाय हमें दुख देती है, इन्हें जल्दी से जल्दी त्याग देना चाहिए, क्षमा भी हमें विनम्रता से मांगना चाहिए। क्रोध कषाय तो बहुत खराब होता है। भूलवश या अज्ञानता से हमसे कोई मूर्ति टूट जाए तो उसका प्रायश्चित तो है लेकिन जो व्यक्ति समाज को तोड़ता है वो कभी क्षमा का पात्र नहीं होता। क्रोध सबसे बड़ा अन्याय स्वयं के साथ करता है। उसके क्रोध से दूसरे को नुकसान हो न हो लेकिन उसको स्वयं को बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है।

श्री सेठ माणकचंद मगनीराम गोठ के अध्यक्ष कमलेश कासलीवाल, दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के अध्यक्ष राजकुमार पाटोदी, कार्यक्रम के प्रमुख संयोजक प्रिंसपाल टोंग्या ने बताया कि कांच मंदिर, इतवारिया बाजार में क्षमा वाणी पर्व पिछले 103 वर्षों से मनाया जा रहा है।

कार्यक्रम में आर्यिका सुनयमति माताजी ने भी प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि क्षमा धर्म आत्मा का स्वभाव है, स्वभाव आसानी से प्रकट नहीं होता। क्षमा पर्व औपचारिकता का पर्व नहीं है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का है। करोड़ों बार की भक्ति से बड़ा है किसी को हृदय से एक बार क्षमा करना।

दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि श्रीजी के कलश के पश्चात सामूहिक क्षमावाणी पर्व हर्षोल्लास से मनाया। सभी समाजजन ने जाने- अनजाने में हुई गलतियों के लिए एक दूसरे से क्षमा याचना की। श्रीमती उषा शाह के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। पाटोदी एवं सुशील पांड्या झांकी और मंडल के विजेताओं के पुरस्कार घोषित किए। जिनके पुरस्कार अगली मीटिंग के अवसर पर दिए जाएंगे। इस अवसर पर,दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के परम संरक्षक पुष्पा कासलीवाल, अमित कासलीवाल, दिलीप पाटनी, फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश विनायका, राजेंद्र सोनी, अरविंद जैन, ऋषभ पाटनी, धर्मेंद्र पाटनी, देवेंद्र सोगानी, संजय जैन, पार्षद राजीव जैन, रिटायर्ड डीएसपी डीके जैन, संजय कासलीवाल, रितेश पाटनी, मनीष गंगवाल, सहित बहुत अधिक संख्या में समाज जन मौजूद थे।


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