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समय पर मिली स्वास्थ्य सेवाओं से नन्हीं हंसिका को मिला नया जीवन

 

जीवन स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से गुजर रहा हो और ऐसे समय में बेहतर स्वास्थ्य जांच और उपचार मिल जाए तो व्यक्ति का जीवन बच जाता है। जीवन बचाने की बात मात्र 4 माह के बच्चे की हो तो मदद के हाथ तत्काल आगे बढ़ जाते है। ऐसे ही कुछ परदेशीपुरा क्र. 45 स्थित आंगनवाडी केन्द्र पर हुआ। 26 जून 2024 के दिन आंगनवाडी केन्द्र पर सामान्य दिनों की तरह माताओं और बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा था। इसी दौरान नन्हीं बच्ची हंसिका जो बेहद सुस्त सी लग रही थी और पहली नजर में उसे रक्त की कमी नजर आ रही थी। जांच दल में शामिल राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम का तत्काल बच्ची के हाव भाव की ओर ध्यान गया और उन्होंने उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया। स्वास्थ्य जांच में बच्ची का हिमोग्लोबिन 2.4 ग्राम ही पाया गया। सभी दंग रह गये और तत्काल परिजनों को बताया कि बच्ची को तत्काल ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता है। नन्हीं हंसिका को बिना किसी देरी किये ब्लड ट्रांसफ्यूजन हेतु चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय इंदौर रेफर किया गया। इलाज की सारी प्रक्रिया पूर्ण करते हुए अगले ही दिन नन्हीं हंसिका को ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। आज हंसिका पूरी तरह से स्वस्थ है और सामान्य बच्चों की तरह है।          

      हंसिका के पिता श्री धर्मेन्द्र मेहरा एवं माता श्रीमती मधु मेहरा कहते है कि आंगनबाड़ी पर होने वाली स्वास्थ्य जांच और आरबीएसके चिकित्सकों की टीम की त्वरित कार्रवाई से हमारी बेटी पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होंने बताया बीमार होने के समय हम कुछ समय नहीं पाए थे कि हंसिका क्यों सुस्त नजर आ रही थी। उसे दो-तीन दिन से दस्त लग रहे थे। सामान्य इलाज कराया था लेकिन आंगनवाडी केन्द्र में जाने के दौरान हमें मालूम हुआ कि हंसिका को रक्त की कमी है। तत्काल इलाज और ब्लड ट्रांसफ्यूजन होने से आज हंसिका को नया जीवन मिला है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं मध्यप्रदेश सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं तथा आरबीएसके का धन्यवाद देते हुए आभार माना।  उन्होंने बताया हमारी बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। उसका हिमोग्लोबिन 11 पांइट हो गया है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के समस्त जिलों में आरबीएसके यूनिट है। आंगनवाडी केन्द्रों पर महिला एवं बाल विकास विभाग एवं आरबीएसके टीम के द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नियमित रूप से किया जाता है। साथ ही किसी बच्चे को जन्मजात विकृति संबंधित बीमारी होने पर उसके उपचार एवं ऑपरेशन भी सुनिश्चित कराया जाता है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती ललिता लोधवाल ने बताया कि हंसिका का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। आरबीएसके चिकित्सकों के द्वारा हंसिका के माता-पिता को आवश्यक मार्गदर्शन भी दिया जाता है।

*आरबीएसके की टीम आंगनवाड़ी केन्द्रों पर नियमित रूप से करती है बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण*

            स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) आरंभ किया गया हैजो की स्वास्थ्य जाँचप्रारंभिक स्वास्थ्य सेवाएंबच्चों में बीमारियों को पहचानने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण तथा इस दृष्टिकोण को स्वास्थ्य सेवाओंसहयता और उपचार आदि सेवाओं से जोड़ने की परिकल्पना करता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अकेला ऐसा कार्यक्रम है जो बच्चों के जीवन की समग्र गुणवत्ता को ऊपर उठाने के लिए कार्य कर रहा है और उन्हें अपनी सम्पूर्ण क्षमता को पाने योग्य बनाने के लिए प्रयासरत है तथा साथ ही बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम समुदाय के सभी बच्चों को व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान करता है।

            इस कार्यक्रम में जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य जांच शामिल हैस्वास्थ्य जांच में चार श्रेणियों जन्मजात रोगकमियाँबीमारियाँविकास में देरी में श्रेणीबद्ध विभिन्न रोगों की जांच की जाती हैताकि इन रोगों का शीघ्र पता लगाया जा सकेबीमार बच्चों का प्रबंधन तथा निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें। साथ ही इसमें तृतीयक स्तर पर सर्जरी भी शामिल है। इन चार श्रेणियों में श्रेणीबद्ध रोगों को 4 डी. के नाम से भी जाना जाता है। यदि स्वास्थ्य जांच में 32 रोगों में से कोई भी रोग पाया जाता है तो उन बच्चों को प्रारंभिक स्वास्थ्य परीक्षण एवं सेवाएं जिला स्तर पर प्रदान की जाती है। ये सभी स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क प्रदान की जाती है। बच्चों को जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिएआंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकित 0-6 वर्ष की आयु समूह के बच्चों का नियमित रूप से आंगनवाड़ी केन्द्र पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।

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