संबोधित करते डॉ. वीपी गोस्वामी।
मध्य प्रदेश के नवजात शिशु मृत्यु दर का ज्यादा होने का सबसे बड़ा कारण यहां हेल्थ प्रोफेशनल्स की कमी होना है। शहरों में हालात ठीक है पर जैसे जैसे शहर से दूरी बढ़ती जाएगी वहां हेल्थ प्रोफेशनल्स की संख्या कम होती जाएगी। हम सभी को मिलकर इस कमी को दूर करने की जरूरत है।
यह बात डॉ. रश्मि शाद ने कहा रविवार को NEOCON कॉन्फ्रेंस में कही। उन्होंने कहा कि प्रीमैच्योर बर्थ, जन्मजात विकृती, जन्म के साथ इंफेक्शन. कॉम्प्लीकेटेड प्रेगनेंसी, अर्ली प्रेगनेंसी और लेट प्रेगनेंसी है ये सभी वो प्रमुख कारण है जिनकी वजह से नवजात शिशु को विभिन्न तरह की परेशानी होने की संभावना रहती है। इस कॉन्फ्रेंस के जरिए हम इस तरह के मामलों में नवजात शिशु को बेहतर और फास्ट और बेहतर ट्रीटमेंट देने के बारे में सीखने को मिला।
गुजरात से आए प्रो. सोमशेखर निंबालकर ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चों का जन्म भारत में हो रहा है। इनमें लगभग 20% बच्चे प्री मैच्योर या बहुत छोटे पैदा होते हैं। सही देखभाल न होने के कारण बच नहीं पाते हैं । उन्होंने कहा कि कॉन्फ्रेंस में सभी को कुछ नया सीखने को मिलता है। इससे इस तरह के बच्चों की जिंदगी को बचाने में काफी मदद मिलती है। 20 साल पहले जब बच्चा सांस नहीं लेता था तो उसे तुरंत ऑक्सीजन दे दिया जाता था। अब टेक्नोलॉजी और ट्रीटमेंट के तरीकों में आए बदलाव के कारण अब इस प्रकार के बच्चों को रूम एयर में रखकर ही बचा लिया जाता है।
इस मौके पर देशभर से आए विशेषज्ञों ने नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। ऑर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. वीपी गोस्वामी ने बताया कि हम सभी ने मिलकर 2030 तक नवजात शिशु मृत्यु दर सिंगल डिजिट तक लाएंगे इसके लिए हम सभी को मिलकर और बेहतर प्रयास करने और बड़ी संख्या में ट्रेंड हेल्थ प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ेगी।
देश के अनुसार होनी चाहिए टेक्नोलॉजी नागपुर से आए डॉ. सतीश डे पुजारी ने कहा कि बिना टेक्नोलॉजी के सपोर्ट के हम आगे नहीं बढ़ सकते। टेक्नोलॉजी हमारे देश की होनी चाहिए जो हमारे देश के अनुसार होनी चाहिए। डॉ. एनएल श्रीधर ने मेडिकल फील्ड से जुड़े लीगल कॉम्प्लिकेशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने मेडिकल प्रोफेशनल्स को प्रॉपर डॉक्युमेंटेशन रखने की सलाह दी।
मां के दूध से बच्चे को मिलते है इम्यूनिटी ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. जेनिशा जैन ने कहा कि एक बात जो नवजात शिशु के पेरेंट्स को समझने की जरूरत है वह यह है कि मां के दूध से बेहतर कोई भी फार्मूला मिल्क नहीं हो सकता है। यह बात सिर्फ केमिकल की नहीं है बल्कि मां के दूध से बच्चे के बॉडी को मिलने वाले इम्युनिटी की भी है। बच्चा मां के संपर्क में जितना ज्यादा रहेगा मां को दूध उतना ज्यादा होने की संभावना बढ़ जाती है।
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