सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए अप्रवासी भारतीयों (NRI) के दूर के रिश्तेदारों को आरक्षण देने को धोखाधड़ी बताया है।
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मंगलवार को NRI कोटा की परिभाषा का विस्तार करने की राज्य की अपील खारिज कर दी।
बेंच ने जोर देकर कहा कि दूर के रिश्तेदारों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है। यह फर्जीवाड़ा बंद होना चाहिए। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। यह पैसा घुमाने वाली मशीन है।
दरअसल, पंजाब सरकार ने 20 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए NRI के 15% कोटा के दायरे को बढ़ाकर विदेश में बसे दूर के रिश्तेदारों जैसे मामा, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, दादा-दादी को भी शामिल कर लिया था।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार की अधिसूचना रद्द कर दी थी। इसके खिलाफ पंजाब सरकार शीर्ष कोर्ट का रुख किया था।
NRI कोटा मूल रूप से वास्तविक NRI और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए था, जिससे उन्हें भारत में शिक्षा पाने में मदद मिले। लेकिन दूर के रिश्तेदारों को इस श्रेणी में शामिल करने के कदम ने नीति के मूल उद्देश्य को कमजोर कर दिया। परिभाषा को व्यापक बनाने से दुरुपयोग का रास्ता खुल जाता है।
पंजाब सरकार के वकील: हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश NRI कोटा प्रवेश के लिए एक व्यापक परिभाषा का पालन कर रहे हैं।
CJI: आप कह रहे हैं कि NRI के निकटतम रिश्तेदार पर भी विचार किया जाएगा। यह क्या है? यह राज्य द्वारा सिर्फ पैसा कमाने की चाल है।
जस्टिस पारदीवाला: उच्च न्यायालय के आदेश का समर्थन किया। हमें अब इस NRI कोटा व्यवसाय को रोकना चाहिए। यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है। हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ यही कर रहे हैं। परिणाम देखें। जिन लोगों को 3 गुना अधिक अंक मिले हैं, उन्हें प्रवेश नहीं मिलेगा।
जस्टिस पारदीवाला: सभी आवेदक भारत से हैं। ताई, ताऊ और चाचा, चाची सब रिश्तेदार है। उन्होंने कहा कि न्यायालय ऐसी किसी चीज का समर्थन नहीं कर सकता जो स्पष्ट रूप से अवैध हो।
कर्नाटक सरकार भी 15% NRI कोटा शुरू की तैयारी में यह फैसला ऐसे समय आया है, जब कर्नाटक सरकार 2025-26 से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 15% NRI कोटा शुरू करने पर जोर दे रही है।
सुप्रीम कोर्ट बोला- सेक्स एजुकेशन वेस्टर्न कॉन्सेप्ट नहीं:भारत में इसकी शिक्षा बेहद जरूरी, इससे यूथ में अनैतिकता नहीं बढ़ती
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 24 सितंबर को कहा कि सेक्स एजुकेशन को वेस्टर्न कॉन्सेप्ट मानना गलत है। इससे युवाओं में अनैतिकता नहीं बढ़ती। इसलिए भारत में इसकी शिक्षा बेहद जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि लोगों का मानना है कि सेक्स एजुकेशन भारतीय मूल्यों के खिलाफ है। इसी वजह से कई राज्यों में यौन शिक्षा को बैन कर दिया गया है। इसी विरोध की वजह से युवाओं को सटीक जानकारी नहीं मिलती। फिर वे इंटरनेट का सहारा लेते हैं, जहां अक्सर भ्रामक जानकारी मिलती है।
सुप्रीम कोर्ट बोला- चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना अपराध, मद्रास हाईकोर्ट का फैसला पलटा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत अपराध है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया।
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कोई ऐसा कंटेंट डाउनलोड करता और देखता है, तो यह अपराध नहीं, जब तक कि नीयत इसे प्रसारित करने की न हो। ऐसे कंटेंट का स्टोरेज, इसे डिलीट ना करना और इसकी शिकायत ना करना बताता है कि इसे प्रसारित करने की नीयत से स्टोर किया गया है।
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