इन्दौर,वैदिक काल से ही शिक्षा प्राप्ति एवं शास्त्र अध्ययन हेतु विद्यार्थी जब गुरुकुल में अथवा गुरुजनों के पास जाते थे, तो गुरु के द्वारा उनकी परीक्षा ली जाती थी एवं उस शिक्षा-दीक्षा को आरंभ करवाने के लिए जो संस्कार किया जाता था उसे "उपनयन संस्कार" कहते हैं। प्राचीन समय में गुरु-शिष्य परंपरा के तहत गुरुओं के पास विद्यार्थी को रखा जाता था ताकि वह गुरु से ज्ञान प्राप्त कर देश एवं समाज की सही ढंग से सेवा कर सके। आयुर्वेद शास्त्रों में भी हजारों वर्ष पूर्व आचार्य चरक एवं सुश्रुत ने शिष्योपनयनीय के अंतर्गत इस प्रकार की विधि का वर्णन किया है। इसी परंपरा को जीवंत रखने एवं भारतीय संस्कृति का पोषण करने के उद्देश्य से भारत सरकार,आयुष मंत्रालय ने पूरे देश के आयुर्वेद कॉलेजों में नवीन प्रवेशित सत्र 2024-25 के विद्यार्थियों का ट्रांजिशनल करिकुलम प्रोग्राम शुरू करने का कार्यक्रम बनाया है।
इंदौर के शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज,लोकमान्य नगर में इस वर्ष एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों का ट्रांजिशनल करिकुलम कार्यक्रम 15 दिवस का रहेगा, उसकी शुरुआत आज 11 नवंबर से की गई । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. ऋषिकेश मीणा, आईपीएस डीसीपी एवं विशेष अतिथि प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी, आईआईटी मुंबई उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजीत पाल सिंह चौहान ने ट्रांजिशनल कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया की 15 दिनों में नए प्रवेश लेने वाले छात्रों को सभी विषय के व्याख्यान महाविद्यालय के डॉक्टर के द्वारा एवं बाहर से बुलाए गए विशेषज्ञों के द्वारा दिए जाएंगे। इस अवसर पर विद्यार्थियों को फार्मेसी, हर्बल गार्डन, हॉस्पिटल आदि स्थानों का विजिट भी कराया जाएगा, ताकि विद्यार्थियों को चिकित्सा से संबंधित सभी विषयों की जानकारी मिल सके। इस अवसर पर विद्यार्थियों के परिजन भी उपस्थित रहे और परिजनों ने इस कार्यक्रम की प्रशंसा की। कार्यक्रम के पश्चात विद्यार्थियों ने चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने की शपथ ली। जिस तरह पुत्र पिता की सेवा करता है उसी प्रकार एक विद्यार्थी को अपने गुरु की सेवा करना चाहिए , वैसे भी भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर का स्थान दिया गया है, इसी प्रकार हजारों वर्षों पुरानी इस परंपरा को आयुर्वेद के द्वारा लगातार जीवित रखा गया है और इसी संदर्भ में पूरे भारत में आयुर्वेद कॉलेजों में ट्रांजिशनल कार्यक्रम भारत सरकार के आयुष विभाग द्वारा चलाए जा रहे हैं । कार्यक्रम आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. एस के नायक ने बताया कि छात्रों को प्रवेश के समय चिकित्सा से संबंधित सभी पहलुओं की जानकारी दी जाएगी एवं उन्हें बताया जाएगा कि चिकित्सा कर्म सिर्फ आजीविका कमाने के लिए नहीं है यह पुण्य कार्य है, यह कार्यक्रम 15 दिन तक चलेगा और इस कार्यक्रम में छात्रों को चिकित्सा से संबंधित सिद्धांत जानकारी एवं प्रायोगिक जानकारी दी जाएगी एवं आयुर्वेद के विद्वान अतिथियों के द्वारा भी लेक्चर कराए जाएंगे। छात्रों को हॉस्पिटल के विजिट के दौरान किस प्रकार मरीजों की सेवा की जाती है उनका इलाज किया जाता है इसकी जानकारी दी जाएगी। चिकित्सा में काम आने वाले सभी प्रकार के इंस्ट्रूमेंट बताए जाएंगे, बच्चों को हर्बल गार्डन में सभी प्रकार की चिकित्सा में काम आने वाली जड़ी बूटियों जैसे गिलोय, आमलकी ,हल्दी, ग्वारपाठा कांचनार, वासा, तुलसी, पीपल आदि लगभग 200 प्रकार की जड़ी बूटियों की जानकारी दी जाएगी। विद्यार्थियों को आयुर्वेद फार्मेसी में किस प्रकार जड़ी बूटियों से दवाइयां बनाई जाती है एवं उनकी पैकिंग की जाती है यह भी बताया जाएगा। छात्रों को आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति नाड़ी परीक्षा, प्रकृति परीक्षा, मूत्र परीक्षा, पंचकर्म ,योगा, शल्य कर्म, अग्निकर्म ,कार्यचिकित्सा की भी जानकारी दी जाएगी। इस प्रकार यह कार्यक्रम अधिक से अधिक छात्रों के लिए विद्यार्थियों के लिए लाभदायक हो इसके विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। उक्त जानकारी डॉक्टर अखलेश भार्गव विभाग अध्यक्ष शल्य तंत्र के द्वारा दी गई।
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