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इंदौर सहित प्रदेशभर में प्रॉपर्टी की गाइडलाइन फिर बढ़ने वाली है

 

2019 में आया था डिफरेंस अमाउंट पर अतिरिक्त टैक्स देकर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाने का प्रावधान

इंदौर सहित प्रदेशभर में प्रॉपर्टी की गाइडलाइन फिर बढ़ने वाली है। केंद्रीय मूल्यांकन समिति की मंजूरी के बावजूद यह कब से लागू होगी, यह सीएम की मंजूरी के बाद ही तय होगा। पंजीयन विभाग ने जो गाइडलाइन बढ़ाने का प्रस्ताव मंजूर किया है, वह पिछले दो से तीन साल में गाइडलाइन से अधिक दर पर हुई रजिस्ट्री के आधार पर हुआ है।

दरअसल विभाग जब भी गाइडलाइन बढ़ाता है तो दो कारणों से बढ़ाता है। पहला जहां तय गाइडलाइन से ज्यादा में रजिस्ट्री हुई और दूसरा जहां अधिक संख्या में रजिस्ट्रियां हुई हैं। यह डेटा विभाग एआई की मदद से ले रहा है। साल 2020 में विभाग ने बढ़ी हुई गाइडलाइन से ज्यादा की रजिस्ट्री में तय गाइडलाइन के अलावा डिफरेंस अमाउंट पर अतिरिक्त शुल्क में छूट देने के फॉर्मूले से लागू किया था।

ऐसे में जो उपभोक्ता अतिरिक्त शुल्क देकर वास्तविक मूल्य में रजिस्ट्री करवाते हैं, वही डेटा एआई ज्यादा गाइडलाइन से रजिस्ट्री का दिखाता है। नतीजा यह है कि जिन क्षेत्रों में उपभोक्ता तय गाइडलाइन से ज्यादा का अतिरिक्त टैक्स जमा करते हैं, गाइडलाइन बढ़ाने का प्रस्ताव भी विभाग उन्हीं लोकेशन का देता है। जिन क्षेत्रों में गाइडलाइन से अंदर या उतने में ही रजिस्ट्री होती है, वहां का प्रस्ताव ही नहीं आता है।

हालांकि यह परेशानी पिछले तीन सालों से है। 2015-16 में गाइडलाइन बढ़ी थी। इसके बाद यह सीधे 2022 में बढ़ी। इससे पहले 2019-20 में कांग्रेस की सरकार ने गाइड लाइन में से 20 प्रतिशत की कमी की थी।

जहां से अतिरिक्त शुल्क मिल रहा, उसी पर बढ़ा प्रभार

2019 में सरकार ने छूट दी थी कि डिफरेंस अमाउंट पर टैक्स लेकर लीगल किया जाए। अभी शहरी क्षेत्रों में 12.5% व ग्रामीण में 9.5 % पंजीयन शुल्क लगता है। डिफरेंस अमाउंट पर इस शुल्क पर 7.4 % की छूट दी गई। इस छूट के बाद शहरी क्षेत्र में 5.1% जबकि ग्रामीण क्षेत्र में मात्र 2.1 % टैक्स लगता है। इसलिए लोगों ने अतिरिक्त शुल्क जमा किया। एआई ने यही क्षेत्र बताए जहां अधिक मूल्य में रजिस्ट्री हुईं।

सीधी बात- एम. सेलवेंद्रन, आईजी, पंजीयन

नया सिस्टम ला रहे...

इंदौर में बढ़ी हुई गाइडलाइन कब तक लागू होगी?

- मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा, उनकी अनुमति से ही लागू करेंगे।

आप डाटा एआई से लेते हैं, भौतिक सर्वे नहीं होता, जो टैक्स दे रहा है, उन्हीं में गाइडलाइन बढ़ रही?

- इसमें दोनों बात शामिल होनी चाहिए। हम तो अधिक दरों को चिह्नित करके जिला रजिस्ट्रार को भेज देते हैं कि इन क्षेत्रों में बढ़ोतरी की संभावनाएं हैं। कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां का डाटा नहीं आता है। उनका फिजिकल वेरिफिकेशन करना चाहिए।

यह सिस्टम कैसे बदलेगा?

- अब सभी लोकेशन को समाहित करके नया सिस्टम तैयार कर रहे हैं।

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