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कठिन अनुभवों से सार्थक होगा जीवन

किताबों से जानिए, कैसे कठिनाइयों का सामना करने वाले लोग एक मजबूत मानसिक दृष्टिकोण विकसित कर पाते हैं? क्यों वर्तमान क्षण ही हमारा सबसे अच्छा शिक्षक होता है?

कष्ट जीवन में अच्छी सीख भी साबित होते हैं कठिन अनुभवों के माध्यम से, जीवन अधिक सार्थक हो जाता है। यदि आप उन लोगों को देखें, जिन्हें जीवन की शुरुआत से ही सब कुछ मिला है, तो आप देखेंगे कि जब छोटी समस्याएं आती हैं, तो वे जल्द निराश हो जाते हैं। वहीं कठिनाइयों का सामना करने वाले लोग एक मजबूत मानसिक दृष्टिकोण विकसित कर पाते हैं। देखा जाए तो कुछ कष्ट जीवन के लिए एक अच्छी सीख साबित हो सकते हैं। 

वर्तमान क्षण ही सबसे अच्छा शिक्षक होता है आम तौर पर हम किसी भी रूप में असुविधा को बुरी खबर मानते हैं। लेकिन साधकों या आध्यात्मिक व्यक्तियों के लिए- यानी वे लोग जो यह जानने की भूख रखते हैं कि सच्चाई क्या है- निराशा, शर्मिंदगी, झुंझलाहट, नाराजगी, गुस्सा, ईर्ष्या और भय जैसी भावनाएं बहुत स्पष्ट क्षण होते हैं, जो सिखाते हैं कि हम वास्तव में कहां अटके हुए हैं। ये हमें सिखाते हैं कि वर्तमान क्षण ही हमारा सबसे अच्छा शिक्षक होता है।

अपने अतीत के साथ सुलह कर लेना अच्छा है कई लोगों के लिए अतीत एक ऐसी फिल्म की तरह है, जो चाहे कितनी भी दर्दनाक क्यों न हो, वे उसे बार-बार अपने लिए फिर से चलाते हैं। इसमें वह सारी व्याख्याएं, पीड़ाएं और नाटक होते हैं, जिन्होंने हमें आज जो हम हैं, वह बनाने में भूमिका निभाई है। अपने अतीत के साथ सुलह करना क्षमा करने की प्रक्रिया है। यह लेट-गो की प्रक्रिया भी है- जो सभी मानवीय प्रयासों में सबसे सरल होकर भी सबसे कठिन है।

बच्चों के साथ खेलकर भी लोगों का अहंकार दूर हो सकता है बचपन किसी के भीतर कभी मरता नहीं। ऐसा नहीं कि जब आप बड़े हो जाते हैं तो आपका बचपन खत्म हो जाता है; वह आपके भीतर बना रहता है। जो आप थे, वह आपके भीतर अभी भी है और आपकी आखिरी सांस तक आपके भीतर रहेगा। मानव का पूरा संसार अहंकार के इर्द-गिर्द घूमता है। खेल-कूद आपके अहंकार के खिलाफ है, आप इसे आजमाकर देख सकते हैं। बच्चों के साथ खेलकर देखें। आप पाएंगे आपका अहंकार गायब हो रहा है, आप फिर से बच्चे बन गए हैं।

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