गोवर्धन पूजन का मतलब है पर्यावरण संरक्षण। भगवान श्रीकृष्ण ने जीवों की रक्षा के लिए प्रकृति की संपदा की सुरक्षा के लिए गोवर्धन पूजन का विधान बनाया, जो आज तक परंपरागत चला आ रहा है, परंतु नासमझी के कारण हम इन व्रत-त्योहारों के पूजन-विधानों के महत्व को ठीक तरह से नहीं समझ पाए, जिसके कारण आज पेड़-पौधे कट जाने के बाद, पहाड़ ढह जाने और नदियों पर बांध बन जाने के बाद हम पर्यावरण सुरक्षा की बात करने लगे। इसी तरह पौधे लगाने के अभियान छेड़ने लगे, जबकि हमारे महान सनातनी नायकों ने पहले से ही कम शिक्षित या अशिक्षित व्यक्तियों से पूजन कराकर प्रकृति की रक्षा का संदेश दिया।
एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने विशेष प्रवचन में शुक्रवार को यह बात कही।
भारत की सशक्त शिक्षा पद्धति बिगाड़ दी
महाराजश्री ने कहा कि जबसे पाश्चात्य संस्कृति आई और आधुनिक शिक्षा के नाम पर भारत की सशक्त शिक्षा पद्धति को तबाह कर दिया गया, तबसे तीज-त्योहारों, परंपराओं को लोग केवल परंपरा के नाम पर दिखाने के लिए फूहड़ तरीके से मनाने लगे। लोगों की समझाइश के बाद भी कुछ मनचले लोगों ने ऐसी आतिशबाजी चलाई कि श्वांस ग्रस्त बुजुर्ग रोगी, हृदय से संबंधित रोगी और बच्चों को काफी परेशानी हुई। पैसा तो बर्बाद हुआ ही, परेशानी भी खड़ी हो गई। यह नासमझी का ही कारण है। त्योहार और परंपराओं के स्वरूप बदलने लगे, जो कि देश और समाजहित में नहीं है। पहले लोग शिक्षित कम थे, फिर भी धर्म के कारण अटूट श्रद्धा होने के कारण वे सच्चे गुरु को अच्छी तरह पहचान लेते थे और सही-गलत का भेद समझते थे। इसके साथ ही वे मान्य गुरुओं की बात आंख मूंदकर मानते थे। इसके कारण सुखी और समृद्ध भी थे।
गाय को राष्ट्रीय दर्जा देने में क्या परेशानी?
डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने कहा कि अब तो कुछ लोग सनातन धर्म के सर्वोच्च आचार्य शंकराचार्य की भी आलोचना करने लगे। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य गऊ माता को राष्ट्रीय दर्जा देने की बात कर रहे हैं, क्योंकि किसी भी धर्म या मजहब का व्यक्ति हो, गाय का दूध तो सबको पीना ही पड़ता है, इसलिए गाय सबकी माता है। ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य की बात सत्ताधारी दल मान ले तो इससे न कोई कटेगा न बंटेगा। भगवान श्रीकृष्ण ने गऊ माता का पूजन किया, राम ने भी किया। हमारे भगवान के अवतारों में एक उद्देश्य धेनु की रक्षा भी शामिल रहती है। प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी भी गो माता का पूजन करते हैं, देश के राज्यों में उनकी सरकार भी है, राष्ट्र को एक करने में गऊ माता को राष्ट्रीय दर्जा देना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं। पशु-पक्षी, प्रकृति, जीव-जंतुओं का संरक्षण ही हमारा धर्म है।
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