1) ईर्ष्या को स्वीकारें, शर्मिंदगी से बचें जब कभी आपको महसूस हो कि ईर्ष्या ने आपको जकड़ लिया है, तो इसे स्वीकार करें और खुद को बुरा महसूस करने के लिए दोषी न ठहराएं। इसे बेहद सहजता के साथ स्वीकार करें। यह एक सामान्य मानवीय भावना है। इसे शर्मिंदगी में बदलने से बचें। खुद को यह याद दिलाएं कि ईर्ष्या बेहद स्वाभाविक चीज है। यह मनुष्य का स्वभाव है। आप केवल इतना कर सकते हैं कि ईर्ष्या को कभी अपने ऊपर हावी न होने दें। इसे धीरे-धीरे कम करने के लिए प्रयास करते रहें और धैर्य रखें।
2) तुलना से जिज्ञासा की ओर बढ़ जाएं यदि आपको कभी ऐसा महसूस हो कि आप अचानक ही अपनी तुलना किसी खास शख्स के साथ बार-बार करने लगे हैं तो इस बात से परेशान होने की आवश्यकता कतई नहीं है। तुलना को खुद के लिए नुकसानदायक बनाने के बजाय, यह समझने की कोशिश करें कि आखिर किसी एक व्यक्ति की सफलता ने आपको क्यों प्रेरित किया है। उनमें वो क्या खास बात है जो आपके अंदर नहीं है। उनके करियर के रास्ते को जानने की कोशिश करें और देखें कि आप इससे क्या सीख ले सकते हैं।
3) जिससे ईर्ष्या करते हैं, उसके करीब जाएं अगर आपको एेसा लगता है कि आप किसी से ईर्ष्या करते हैं तो उनके लिए खुश होना आपके लिए बेहद कठिन हो सकता है। ऐसा इसलिए कि आपको लगता है कि वे आपसे हर तरह से बेहतर हैं। लेकिन उनसे ईर्ष्या करने के बजाय उनसे सीखें। आप उन्हें किसी खतरे के रूप में न देखें। बल्कि अपने लक्ष्य के लिए एक प्रेरक सहयोगी के रूप में देखने की कोशिश करें। इस तरह आप उनके करीब जा सकते हैं।
4) करियर को पोर्टफोलियो के रूप में देखें यदि आप अपने आत्म-मूल्य को केवल अपनी नौकरी से जोड़कर ही देख पाते हैं, तो किसी और की प्रगति देखकर निराश होना आपके लिए बेहद सरल, सहज और स्वाभाविक ही हो सकता है। इस सोच को बदलकर भी देख सकते हैं। अपने करियर को केवल स्किल डेवलपमेंट का एक पोर्टफोलियो मानें तो आप कुछ क्षेत्रों में पीछे रह जाने की पीड़ा से बहुत हद तक बचे भी रह सकते हैं। इस तरह आप चाहें तो अपने करियर को एक पोर्टफोलियो के रूप में भी देख सकते हैं।
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