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भावना को उस समय पहचानना जरूरी है जब वह उत्पन्न हो

  • किताबों से जानिए, क्यों हर भावना को उस समय पहचानना जरूरी है जब वह उत्पन्न हो? कब आपको जीवन पहले से कहीं बेहतर दिखाई देने लगेगा ?

भय और सावधानी दोनों आपके भीतर ही होते हैं भावनाओं से निपटने का पहला कदम है, हर भावना को उस समय पहचानना जब वह उत्पन्न हो। जैसे, भय के मामले में आप अपनी सावधानी को सामने लाते हैं। अपने भय को देखते हैं और उसे भय के रूप में पहचानते हैं। आप समझते हैं भय आपसे उत्पन्न होता है और सावधानी भी आपसे ही उत्पन्न होती है। दोनों आपके ही भीतर हैं। परंतु वे आपस में लड़ाई नहीं कर रहे। बल्कि एक-दूसरे का ध्यान रख रहे हैं।

जब लोग बात करते हैं, तो उन्हें सुनकर उनसे जुड़ें किसी अन्य व्यक्ति से जुड़ने का सबसे शक्तिशाली तरीका है सुनना। शायद सबसे महत्वपूर्ण चीज जो हम एक-दूसरे को दे सकते हैं, वह है हमारा ध्यान। उनकी बातों को दिल से महसूस करें। जो वे कह रहे हैं, उसे सुनें। उसकी परवाह करें। उनकी बातों की परवाह करना, उन्हें समझने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। हममें से अधिकतर लोग खुद को इस सच्चाई को जानने-समझने योग्य संवेदनशील नहीं बना पाते हैं।

जो न चाहते हैं उसे जाने दें, जो है उस पर ध्यान दें जब आप इस पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि आपके पास क्या है, न कि इस पर कि आपको क्या चाहिए, तो अंततः आपको वह भी मिल जाता है जो आप चाहते हैं। यदि आप अपनी नौकरी के लिए आभारी हों, तो आप बेहतर काम करेंगे, अधिक उत्पादक बनेंगे और शायद पदोन्नति या वेतनवृद्धि भी पा लेंगे। यदि आप ऐसा करते हैं, तो जीवन पहले से कहीं बेहतर दिखाई देने लगेगा और आप संतोष महसूस करेंगे। 

जिंदगी का आनंद उठाना चाहते हैं, तो वर्तमान में जीना शुरू करें एक ऐसा दिन जिसमें आप केवल बैठें और सोचें। एक ऐसा दिन जिसमें आप स्थिर रहें और समय के हर अनमोल क्षण को अनुभव करें। जब हम वर्तमान क्षण में केंद्रित रहना सीखते हैं, तो हम अपने जीवन के नियंत्रण में आ जाते हैं। हम जीने के आनंद को अनुभव करते हैं, हर सांस में छिपे चमत्कार को महसूस करते हैं। यदि हम अपने भीतर की दुनिया पर नियंत्रण कर लें, तो बाहरी परिस्थितियां हमें प्रभावित नहीं कर पाएंगी। जब हम क्षण-प्रतिक्षण जीते हैं, तो जीवन के केंद्र में रहते हैं, जहां अनंत ज्ञान स्थित है। 

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