इंदौर: इंदौर में स्थित चिंताहरण गणेश मंदिर एक प्राचीन और आस्था का प्रमुख केंद्र है, जिसे लगभग 300 वर्ष पहले निर्मित किया गया था. यह मंदिर खासतौर पर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां खड़े गणेश की मूर्ति विराजमान है, जो आमतौर पर अन्य मंदिरों में देखने को नहीं मिलती. अधिकतर मंदिरों में भगवान गणेश की बैठी हुई प्रतिमा होती है, लेकिन इस मंदिर में गणेशजी की खड़ी मुद्रा वाली प्रतिमा है, जिसे विजय का प्रतीक माना जाता है.
मंदिर का इतिहास
चिंताहरण गणेश मंदिर इंदौर के रावजी बाजार में स्थित है और इसे नंदलाल द्वारा निर्मित करवाया गया था. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसके पास बहती काह्न नदी पहले बेहद सुंदर थी, लेकिन अब वह नाले का रूप ले चुकी है. इतिहास के अनुसार, मुगलों के समय यहां से हाथी और घोड़े युद्ध के लिए भेजे जाते थे. मंदिर के पुजारी तुषार वीरेंद्र बताते हैं कि इस मंदिर का विशेष महत्व है, क्योंकि यहां भगवान गणेश की खड़ी मूर्ति विजय का प्रतीक मानी जाती है.
पूजा और भोग
श्रद्धालु यहां मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष रूप से 3 या 7 बार परिक्रमा करते हैं. इस मंदिर में भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, और चूरमा का भोग लगाया जाता है, और भक्त अपनी क्षमता अनुसार भोग चढ़ाते हैं. यहां किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं होता, भक्तों के भाव को महत्व दिया जाता है. इसके अलावा, मंदिर में हर रोज विशेष श्रृंगार किया जाता है, और देशभर से लोग यहां फूल भिजवाते हैं.
खास अनुभव
मंदिर में शयन आरती के दौरान भक्तों को गणेशजी की नृत्य मुद्रा की अनुभूति होती है, जो भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव है. गणेश व्रत और संकल्प पूर्ण होने पर यहां विशेष अनुष्ठान भी होते हैं.
चिंताहरण गणेश मंदिर न केवल इंदौर बल्कि पूरे जिले में गणेशोत्सव के दौरान खास आकर्षण का केंद्र बनता है, जहां भक्त बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं.
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