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मकर संक्रांति पर जनेऊ संस्कार के लिए उमड़ी भीड़, बागेश्वर के इन तटों का खास महत्व

बागेश्वर के तीन स्थानों को हरिद्वार और प्रयागराज की तरह ही मान्यता दी गई है, इसलिए सरयू तट, सूरजकुंड और अग्निकुंड में जनेऊ संस्कार के लिए हर साल की तरह ही मंगलवार को भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे.

बागेश्वर. उत्तराखंड में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन किए गए धार्मिक कार्यों को शुभ माना जाता है. ठीक इसी प्रकार बागेश्वर में इस दिन स्नान, पूजा-पाठ और जनेऊ संस्कार का विशेष महत्व है. दरअसल बागेश्वर के तीन स्थानों को हरिद्वार और प्रयागराज की तरह ही मान्यता दी गई है. यही वजह है कि सरयू तट, सूरजकुंड और अग्निकुंड में जनेऊ संस्कार के लिए हर साल की तरह ही मंगलवार को हजारों की संख्या में लोग पहुंचे. यहां उन्होंने अपने बच्चों का जनेऊ संस्कार कराया. जनेऊ संस्कार के लिए इतनी ज्यादा भीड़ थी कि बागेश्वर के आचार्यों और पंडितों की प्री-बुकिंग तक हुई. इसके बावजूद भी लोगों को बच्चों का जनेऊ संस्कार कराने के लिए इंतजार करना पड़ा.

बागेश्वर के पंडित रमेश राम ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं. इस दिन कुमाऊं की काशी यानी बागेश्वर में जनेऊ संस्कार की विशेष मान्यता है. मंगलवार को जनेऊ संस्कार के लिए कुमाऊं और गढ़वाल से हजारों की संख्या में लोग बागेश्वर पहुंचे. लोगों ने पहले सरयू नदी में स्नान किया. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. बाबा बागनाथ के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की. फिर सरयू पूजन कर जनेऊ संस्कार किया. अधिकतर जनेऊ संस्कार कुमाऊंनी रीति-रिवाजों के अनुसार किए गए. कुमाऊं समेत गढ़वाल के दूरदराज से लोग बाबा बागनाथ की भूमि में बच्चों के जनेऊ संस्कार को महत्ता देते आए हैं. मकर सक्रांति पर नगर के तीन स्थानों में हजारों की संख्या में जनेऊ संस्कार हुए. जिले के अलावा अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, दिल्ली, हल्द्वानी, नैनीताल और चमोली के लोग जनेऊ संस्कार के लिए बागेश्वर पहुंचे थे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बागेश्वर में जनेऊ संस्कार करना पवित्र माना गया है.

बागेश्वर में त्रिवेणी संगम
स्थानीय निवासी हयात राम ने कहा कि बागेश्वर में ऋषिकेश और प्रयागराज की तरह त्रिवेणी संगम है. त्रिवेणी संगम बागनाथ मंदिर के ठीक सामने होता है, जिस कारण बागेश्वर को तीर्थ स्थलों में गिना जाता है. यहां मकर संक्रांति के दिन जनेऊ संस्कार करना शुभ माना गया है. जो लोग घर में जनेऊ संस्कार नहीं कराना चाहते हैं, वे तीर्थ स्थलों पर जाकर जनेऊ संस्कार कराते हैं. बागेश्वर भी हरिद्वार, ऋषिकेश और प्रयागराज की भांति एक प्रमुख तीर्थस्थल है. यहां किए गए जनेऊ संस्कार का महत्व प्रयागराज के बराबर है. लक्ष्मी देवी ने कहा कि वह पिंडारी के खाती गांव से यहां अपने बड़े बेटे का जनेऊ संस्कार कराने के लिए आई हैं. हमारे बुजुर्गों से हमने सुना है कि बागेश्वर की हरिद्वार के बराबर मान्यता है, इसलिए हम हरिद्वार न जाकर बागेश्वर में ही जनेऊ संस्कार करा रहे हैं.

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